पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने स्वीकार किया है कि पाकिस्तान के कुछ आतंकवादियों ने कश्मीर में लड़ाई लड़ी है. इमरान ने मंगलवार को वाशिंगटन स्थित यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस में यह भी स्पष्ट किया कि उनकी सेना और सुरक्षा बल आतंकवादी समूहों को संरक्षण नहीं दे रहे हैं. इनके खिलाफ कार्रवाई में और भारत से संबंध बनाने के प्रयास में सेना उनका साथ दे रही है.
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इमरान खान ने यह भी स्वीकार किया कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद भारत में भी काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया गया है, जिन्हें कश्मीर में लड़ने का अनुभव भी है. इन्हें पुलिस संभाल नहीं सकती, जिसकी वजह से इनके खिलाफ सेना की मदद की आवश्यकता पड़ी.
इमरान खान ने कहा, "यह सामान्य तौर पर कहा गया कि सुरक्षा बलों ने इन समूहों को संरक्षण दिया हुआ है. हम इनसे हथियार नहीं छीन रहे होते अगर सुरक्षा बल हमारे पीछे न होते. पुलिस इन समूहों को नियंत्रित करने में असमर्थ है। वे लोग प्रशिक्षित हैं. उन्हें अफगानिस्तान और कश्मीर में लड़ने का अनुभव है। पुलिस उनके पीछे नहीं जा सकती है, इसलिए सेना ही है जो देश में सभी आतंकवादी समूहों को हटाने में हमारी मदद कर रही है.
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भारत के साथ शांति बनाए रखने की बात रखते हुए खान ने कहा, सेना भारत के साथ संबंध बेहतर कराने के साथ हमारी हर नीति में हमारा साथ दे रही है. पाकिस्तान में पकड़े गए भारतीय पायलट को रिहा करने का फैसला किया गया, इसमें सेना मेरे साथ थी. पाकिस्तान सुरक्षा बलों या पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार की नीतियों में कोई अंतर नहीं है. उन्होंने कहा कि जब पुलवामा में भारतीय सुरक्षा बलों के एक काफिले पर कार बम से हमला किया गया था, उससे पहले ही पाकिस्तान ने सभी आतंकवादी समूहों को निशस्त्र करने का फैसला किया था और सभी राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन किया था.
उन्होंने कहा, लेकिन इस समूह ने जिम्मेदारी ली, जो कि भारत में भी है--जैश-ए-मोहम्मद भारत में सक्रिय है, पाकिस्तान अचानक सुर्खियों में आ गया. उन्होंने कहा, हमने तो इससे पहले ही तय कर लिया था कि हम पाकिस्तान में सभी आतंकवादी समूहों को खत्म कर देंगे. यह पाकिस्तान के हित में है. मैं दोहराता हूं कि यह हमारे हित में है, क्योंकि देश अब आतंकवादी समूहों को और बर्दाश्त नहीं कर सकता.
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पीएम इमरान खान ने हालांकि पुलवामा घटना में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों की भूमिका को खारिज करने का प्रयास किया. उन्होंने दावा किया कि 'यह भारतीय सुरक्षा बलों की क्रूरता से कट्टरपंथी बने कश्मीरी लड़के द्वारा किया गया स्वदेशी हमला था.' उन्होंने स्वीकार किया कि जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को सुधारने में कुछ सफलता मिलती दिखती है, उसी समय इस तरह की घटना स्थिति को पलट देती है. उन्होंने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि शांति भंग करने वाली इन घटनाओं के पीछे कौन होता है.
खान ने दावा किया कि उनकी पार्टी में शामिल होने वाले तीन पूर्व विदेश मंत्रियों में से दो ने उन्हें बताया कि पाकिस्तान में जनरल परवेज मुशर्रफ व भारत में अटल बिहारी वाजपेयी के समय दोनों देशों के रिश्तों में काफी सुधार आया था. इमरान ने कहा, "मैं अभी कुछ भी नहीं कहना चाहता, क्योंकि यह एक नाजुक मुद्दा है, लेकिन इसका एक समाधान भी है और ये समाधान कश्मीर के लोगों की इच्छा के साथ होना चाहिए."