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Iran Poisoning: चार महीने से छात्राओं को दिया जा रहा जहर, अब 20 और लड़कियां अस्पताल में भर्ती

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक जहरखुरानी के कारण सैकड़ों स्कूली छात्राओं को पहले ही अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है. तमाम अभिभावकों ने अपनी बेटियों को स्कूल से निकाल दिया है.

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Nihar Saxena
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हिजाब कानून विवाद के बाद स्कूली छात्राओं को जहर देने की घटनाएं.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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चार महीने से अधिक समय से महिलाओं को बीमार करने वाले रहस्यमय जहर (Poision) के हमलों की नवीनतम श्रृंखला के बाद कम से कम 20 ईरानी स्कूली छात्राओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. एक अधिकारी ने ईरान वायर को बताया कि लड़कियों को उत्तर-पश्चिमी शहर तबरेज़ में चिकित्सा सुविधाओं के लिए ले जाया गया. हिजाब कानून (Hijab Controversy) के कथित उल्लंघन के मामले में हिरासत में ली गई 22 वर्षीय कुर्द-ईरानी महिला महसा अमीनी (Mahsa Amini) की मौत के बाद लड़कियों द्वारा ईरानी मौलवी शासन के खिलाफ देशव्यापी विरोध के बाद जहरखुरानी के पहले मामले सामने आए. ईरान (Iran) के खुफ़िया मंत्रालय ने शुक्रवार को विदेशी ताकतों पर स्कूली छात्राओं को जहर देने के संदेह पर डर पैदा करने का आरोप लगाया और कहा कि इसकी जांच में वास्तविक ज़हर नहीं मिला है.

सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ का इलाज करा रही छात्राएं
पश्चिम अजरबैजान में आपातकालीन सेवा के प्रमुख ने समाचार एजेंसी आईएसएनए को बताया कि जहरखुरानी की शिकार लड़कियों का सीने में दर्द और सांस की तकलीफ के लिए इलाज किया जा रहा है. सभी स्कूली छात्राओं की हालत स्थिर है. यह हालिया घटना तबरेज़ के बाघमीशेह कस्बे में हुई, जब ईरानी स्कूलों में फारसी नव वर्ष की छुट्टी के बाद कक्षाएं फिर से शुरू हो गई थीं. नवंबर 2022 से अनुमानित 5,000 स्कूली लड़कियों ने जहरखुरानी की घटनाओं के कारण मितली, बेहोशी, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में कठिनाई और दिल की धड़कन की शिकायत की है. दर्जनों को अस्पताल में उपचार आवश्यकता है. 200 से अधिक स्कूलों में अभिभावकों ने इस मुद्दे को उठाया है और स्कूली छात्रों सहित कई ने लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवाज बुलंद की है.

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संयुक्त राष्ट्र ने ईरान सरकार की आलोचना की
संयुक्त राष्ट्र ने स्कूली छात्राओं की रक्षा करने में असफल रहने और जहरखुरानी के हमलों को रोकने या मामले की स्वतंत्र जांच नहीं कराने के लिए इस्लामिक गणराज्य की निंदा की है. ये हमले पहली बार सितंबर 2022 में महसा अमिनी की मौत के कुछ ही हफ्तों बाद शुरू हुए. इसके बाद ही ईरानी सुरक्षा बलों ने देशव्यापी कार्रवाई शुरू की. संयुक्त राष्ट्र ने ईरान के प्रमुख शहरों में 1200 से अधिक स्कूली छात्राओं के जानबूझकर ज़हर को रोकने में विफल रहने के लिए ईरानी शासन की आलोचना की. संयुक्त राष्ट्र  ने उनकी रक्षा करने, आगे हमलों को रोकने और अपराधियों को दंडित करने के लिए जांच का नेतृत्व करने में राज्य की विफलता पर सवाल उठाया. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, ईरान में स्कूली छात्राओं को जहर देने का पहला मामला 30 नवंबर 2022 को कोम शहर में दर्ज किया गया था. उसके बाद से  20 प्रांतों में 91 से अधिक स्कूलों में लड़कियों के स्कूलों के खिलाफ लक्षित रासायनिक हमलों की सूचना मिली है.

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सरकार ने विदेशी ताकतों पर फोड़ा ठीकरा
राज्य मीडिया द्वारा जारी की गई एक मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार इस संकट को हवा देने में विदेशी ताकतों की भूमिका निश्चित और निर्विवाद है. व्यक्तियों, समूहों और पश्चिमी मीडिया ने पिछले कुछ महीनों में इस पर ध्यान केंद्रित किया है. साथ ही साथ विदेशी राजनेताओं और अंतर्राष्ट्रीय निकायों ने भी. छात्रों के बीच शरारत और सामूहिक उन्माद को जिम्मेदार ठहराते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्रीय अन्वेषण और प्रयोगशाला जांच में छात्राओं में जहर पैदा करने में सक्षम कोई जहरीला पदार्थ नहीं देखा गया है. इसके साथ ही जहर से कोई मौत या बीमारी की घटना भी सामने नहीं आई है.

HIGHLIGHTS

  • नवंबर 2022 से लगभग 5,000 स्कूली लड़कियां रसायन या जहरखुरानी की शिकार
  • हालिया घटना के बाद कम से कम 20 ईरानी स्कूली छात्राएं अस्पताल में भर्ती कराई गईं
  • ईरान सरकार ने इन घटनाओं को उछालने के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ बताया
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