तालिबान का डर अब उसके हमदर्दों को भी सताने लगा है. कल तक जो तालिबान के करीबी थे अब उसके खतरे को लेकर सजग होने लगे हैं. पाकिस्तान और चीन अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार बनने के बाद इसके प्रभाव का नए सिरे से मूल्यांकन करना शुरू किया है. सुरक्षा विशेषज्ञों ने तालिबान और देश में मौजूद विद्रोही संगठनों के बीच एकता स्थापित होने पर भारी खतरे की आशंका जाहिर कर रहे हैे. अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में पहुंचने के बाद वहां विस्थापन और पलायन शुरू हो गया. अफगानिस्तान की जनता अमेरिका और यूरोप की तरफ रूख किया तो कम आय वाले लोगों ने पाकिस्तान और पड़ोसी मुल्कों की तरफ जाना मुनासिब समझा. लेकिन अब तालिबान का डर चीन औऱ पाकिस्तान को भी सताने लगा है.
अफगानिस्तान में तालिबानी राज के बीच पाकिस्तान और चीन को अपने यहां मौजूद विद्रेाही संगठनों से खतरा महसूस होने लगा है. दोनों देशों ने तालिबान से इन संगठनों को पनाह न देने की अपील की है. इस संगठनों में पाकिस्तान स्थित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) और चीन में उइगर और पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) शामिल हैं.
पाकिस्तान सरकार की पहल पर पाकिस्तान, चीन, ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने 8 सितंबर को वर्चुअल मीटिंग के जरिए अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के बीच अफगान मुद्दे पर बैठक की थी. जहां टीटीपी और बीएलए को पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों के रूप में प्रतिबंधित किया गया है, वहीं ईटीआईएम चीन के लिए खतरा है.
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इन उग्रवादी संगठनों के अलावा, जोंडोल्लाह, जो ईरान में धमकी देने वाला एक उग्रवादी संगठन है, को भी बयान में प्रतिबंधित किया गया है. संयुक्त बयान में कहा गया, दोहराया गया है कि आईएसआईएस, अल कायदा, ईटीआईएम, टीटीपी, बीएलए, जोंडोल्लाह और ऐसे अन्य आतंकवादी संगठनों को अफगानिस्तान के क्षेत्र में पैर जमाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
रूस ने पंजशीर के सहयोगी ताजिकिस्तान को 12 बख्तरबंद वाहन और सैन्य उपकरणों का जखीरा भेजा है. रक्षा मंत्रालय के एक बयान में मेजर जनरल येवगेनी सिंडाइकिन ने कहा कि तजाकिस्तान की दक्षिणी सीमा के पास बढ़ती अस्थिरता को देखते हुए हम अपने राज्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं.
तालिबान के साथ लड़ाई में पंजशीर के लड़ाकों को ताजिकिस्तान समर्थन देता आया है. अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और नॉर्दर्न अलायंस के प्रमुख अहमद मसूद के ताजिकिस्तान में शरण लेने की खबरें थीं.
अफगानिस्तान में पंजशीर की सेना के खिलाफ तालिबान का समर्थन करने वाले पाकिस्तान के खिलाफ ताजिकिस्तान के लोगों ने मोर्चा खोल दिया है. प्रदर्शनकारी ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के आगामी शिखर सम्मेलन के दौरान इमरान खान के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं.
तालिबान का पंजशीर को छोड़कर पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा था, इसे लेकर उसने अपने सरकार की घोषणा को भी दो बार टाल दिया था. इसके बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के चीफ फैज हमीद काबुल पहुंचे थे. इसके दूसरे दिन ही तालिबान ने पंजशीर पर हमले किए थे. पंजशीर के लड़ाकों ने आरोप लगाया कि उस पर पाकिस्तानी वायु सेना के विमानों ने हमला किया है. इसमें उसके दो बड़े नेता मारे गए. इस हमले के विरोध में राजधानी काबुल समेत ताजिकिस्तान में भी विरोध हुए.
अमेरिका पर आतंकी संगठन अलकायदा के हमले (9/11) की आज 20वीं बरसी है. पहले ऐसी खबर थी तालिबान आज ही अपनी सरकार बनाने के जश्न का कार्यक्रम रखेगा, लेकिन अब मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि तालिबान ने इसे टाल दिया है. इससे पहले रूस ने कहा था कि अगर तालिबान ने 9/11 की बरसी पर कार्यक्रम रखा तो वह शामिल नहीं होगा.
HIGHLIGHTS
- अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में पहुंचने के बाद वहां विस्थापन और पलायन शुरू हो गया
- तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, बलूच लिबरेशन आर्मी और चीन में उइगर और पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट को पनाह न देने की अपील
- रूस ने पंजशीर के सहयोगी ताजिकिस्तान को भेजा 12 बख्तरबंद वाहन और सैन्य उपकरणों का जखीरा