पूरी दुनिया असंख्य रहस्यों से भरी हुई है. जिनके बारे में हर कोई नहीं जानता. आज हम आपको एक ऐसे ही रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आपको यकीन भी नहीं होगा. क्योंकि आज हम आपको जो बताने जा रहे हैं वह सबसे हटकर है. क्योंकि दुनिया के कुछ देशों में घड़ियां हर साल एक घंटा आगे हो जाती है और इसलिए इस देश के लोगों को अपनी घड़ियों का टाइम साल में एक बार ठीक करना पड़ता है. इस सिस्टम को डेलाइट सेविंग टाइम के रूप में जाना जाता है.
दरअसल, अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में ऐसा होता है. जहां साल के 8 महीनों के लिए घड़ी एक घंटे आगे चलती है उसके बाद के बाकी चार महीने के लिए घड़ी को एक घंटा पीछे किया जाता है. बता दें कि अमेरिका में ऐसा मार्च के दूसरे रविवार को किया जाता है. इस दिन घड़ियों को एक घंटा आगे किया जाता है. उसके बाद नवंबर के पहले रविवार को इसे एक बार फिर से एक घंटा पीछे कर दिया जाता है. ऐसा क्यों किया जाता है ये जानने के लिए आज जरूर उत्सुक होंगे.
ये भी पढ़ें: Stone River: ये है दुनिया की सबसे विचित्र नदी, जिसमें पानी की जगह बहते हैं पत्थर
बताया जाता है कि पुराने जमाने में ऐसा माना जाता था कि इस प्रक्रिया से दिन की रोशनी का अधिक से अधिक इस्तेमाल के चलते किसानों को अतिरिक्त कार्य समय मिल जाता था, लेकिन, समय के साथ ये धारणा भी बदल गई. हालांकि अब इस सिस्टम को बिजली की खपत कम करने के लिए अपनाया जाता है. दरअसल, गर्मी के मौसम में घड़ी को एक घंटा पीछे करने से दिन की रोशनी का अधिक इस्तेमाल के लिए मानसिक तौर पर एक घंटा अधिक मिलने की बात कही जाती है.
बताया जाता है कि अभी भी दुनिया के करीब 70 देश इस सिस्टम को अपनाते हैं. हालांकि, भारत समेत दुनिया के ज्यादातर मुस्लिम देश ऐसा नहीं करते. बता दें कि अमेरिका के राज्य इस सिस्टम को मानने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य नहीं हैं. इसलिए अगर वो चाहें तो ऐसा कर सकते हैं अगर ना चाहें तो नहीं कर सकते. बता दें कि यूरोपीय यूनियन के कई देश भी इस सिस्टम को अपनाते हैं.
ये भी पढ़ें: ये हैं दुनिया के सबसे अनोखे देश, जिनमें नहीं पाया जाता कोई पेड़, नाम जानकर रह जाएंगे दंग
ऐसा माना जाता है कि इस सिस्टम के पीछे की वजह एनर्जी की खपत को कम करना था. लेकिन इसलिए इस सिस्टम को लेकर हमेशा बहस चलती रहती है. क्योंकि जहां 2008 में अमेरिकी एनर्जी विभाग ने कहा कि इस सिस्टम के लिए करीब 0.5 फीसदी बिजली की बचत हुई, वहीं उसे साल आर्थिक रिसर्च के नेशनल ब्यूरो ने एक स्टडी में कहा कि इस सिस्टम के कारण बिजली की डिमांड बढ़ी. बता दें कि अमेरिका में इस सिस्टम की शुरुआत साल 2007 में हुई थी. हालांकि ये सिस्टम काफी पुराना है. बताया जाता है कि पहली बार इस सिस्टम को 1784 में बेंजामिन फ्रेंकलिन ने अपने एक पत्र में बताया था.
Source : News Nation Bureau