संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान ने पुराना राग अलापते हुए 'इस्लामोफोबिया' का हौव्वा खड़ा करने के लिए पश्चिम के विकसित राष्ट्रों को 'दोष' देते हुए कहा कि यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि अमेरिका में हुए आतंकी हमले के बाद समूचे विश्व ने कट्टरपंथी तत्वों को इस्लाम से जोड़ कर रख दिया. किसी ने भी यह सोचने की जरूरत नहीं समझी कि इससे काफी पहले जो पहला आत्मघाती आतंकी हमला हुआ था, वह 'हिंदुओं' ने किया था.
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मुस्लिम राष्ट्रों पर लिया आड़े हाथों
अपने संबोधन में 'इस्लामोफोबिया' के तमगे पर जमकर बरसते हुए वजीर-ए-आजम इमरान खान ने मुस्लिम राष्ट्रों को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि 9/11 के बाद से ही यह चलन देखने में आया कि आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ दिया गया. दुर्भाग्य यह रहा कि एक धर्म के खिलाफ पश्चिम के इस 'रुख' को किसी ने रोकने की कोशिश नहीं की. एक भी इस्लामिक राष्ट्र ने यह कहने का साहस नहीं दिखाया कि चरमपंथी हर धर्म में होते हैं. चाहे वह ईसाई हो, यहूदी हो या फिर हिंदू हों. ठीक वैसे ही इस्लाम में भी चरमपंथी सामने आते गए लेकिन उसके लिए पूरी कौम को कठघरे में खड़ा करना उचित नहीं.
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हिंदू धर्म पर लिट्टे के नाम पर साधा निशाना
उन्होंने कहा कि दुनिया ने कट्टरपंथी इस्लाम का चेहरा अमेरिका पर हुए 9/11 आतंकी हमले के रूप में देखा, लेकिन सच तो यह है कि सबसे पहला आत्मघाती हमला हिंदुओं ने किया था. श्रीलंका में लिट्टे आतंकवादियों ने सुसाइड अटैक्स की शुरुआत की थी, जो वास्तव में हिंदू थे. किसी ने इसके लिए हिंदू धर्म को जिम्मेदार नहीं माना और मानना भी नहीं चाहिए. इसके उलट दुनिया आज इस्लाम के नाम से आतंकवाद को जोड़ कर देखती है.
HIGHLIGHTS
- संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान ने पहले आत्मघाती हमले को हिंदुओं की देन बताया.
- मुस्लिम राष्ट्रों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा किसी ने इस्लाम और आतंक कनेक्शन रोकने की जुर्रत नहीं की.
- कहा-श्रीलंका में लिट्टे ने सबसे पहले आत्मघाती आतंकी हमलों को अपने लक्ष्य के लिए इस्तेमाल किया.