भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका इस समय आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में श्रीलंका सरकार असमर्थ है. दुनिया भर से श्रीलंका में जरुरत के सामान मदद के रूप में भेजे जा रहे हैं. इस कड़ी में भारत ने श्रीलंका को 3 बिलियन एसएलआर से अधिक की मानवीय खेप प्रदान की. कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने बताया कि, खेप में चावल, दूध पाउडर और आवश्यक दवाएं शामिल हैं.
उच्चायोग ने एक ट्वीट में कहा कि, "भारत के लोगों से लेकर श्रीलंका के लोगों तक !!! उच्चायुक्त, माननीय मंत्री नलिन फर्नांडो, सांसदों, विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों और अधिकारियों ने आज तूतीकोरन से SLR 3 बिलियन से अधिक मूल्य की एक बड़ी मानवीय खेप का स्वागत किया. 15,000 मीट्रिक टन की खेप में चावल, दूध पाउडर और आवश्यक दवाएं शामिल हैं.
अभूतपूर्व आर्थिक संकट को कम करने के लिए श्रीलंका को सहायता देने वाले पहले कुछ देशों में भारत शामिल था. नई दिल्ली ने खाद्य पदार्थ, ईंधन, दवाओं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए श्रीलंका को 1 बिलियन अमरीकी डालर का रियायती ऋण प्रदान किया है.
मई में, श्रीलंका में खाद्य मुद्रास्फीति 57.4 प्रतिशत थी, जबकि प्रमुख खाद्य पदार्थों के साथ-साथ खाना पकाने, परिवहन और उद्योग के लिए ईंधन की कमी व्यापक रूप से बनी हुई है, जिसमें दैनिक बिजली कटौती जारी है.
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उत्पादन के लिए बुनियादी इनपुट की अनुपलब्धता, मुद्रा का 80 प्रतिशत मूल्यह्रास (मार्च 2022 से), विदेशी भंडार की कमी और अपने अंतरराष्ट्रीय ऋण दायित्वों को पूरा करने में देश की विफलता के कारण अर्थव्यवस्था में तेज संकुचन का सामना करना पड़ रहा है.
विदेश सचिव विनय क्वात्रा के नेतृत्व में उच्च स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में श्रीलंका का दौरा किया और इस बात को रेखांकित किया कि हाल ही में द्वीप देश को 3.5 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक की आर्थिक, वित्तीय और मानवीय सहायता नई दिल्ली की "पड़ोसी पहले" नीति द्वारा निर्देशित थी.
आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन और हिंद महासागर क्षेत्र, विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव कार्तिक पांडे का प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को कोलंबो में था.
यात्रा के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के साथ बैठक की. भारतीय उच्चायोग कोलंबो ने एक बयान में कहा कि दोनों पक्षों के बीच स्पष्ट, सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक तरीके से बातचीत हुई. दोनों पक्षों ने श्रीलंका में वर्तमान आर्थिक स्थिति के साथ-साथ भारत के चल रहे समर्थन पर विचारों का उत्पादक आदान-प्रदान किया.