जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित देशों की सूची में भारत विश्व के शीर्ष दस देशों में शुमार है. इस आशय की जानकारी जर्मनी स्थित पर्यावरण संबंधी थिंकटैंक 'जर्मनवाच' द्वारा सोमवार को प्रकाशित ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2021 में दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि जलवायु परिवर्तन से होने वाले असर दुनियाभर में दिखाई दे रहे हैं, लेकिन तूफान, बाढ़ और भीषण गर्मी जैसी प्रतिकूल मौसम से जुड़ी परिस्थितियों का असर विकासशील देशों में रहने वालों पर अधिक पड़ा है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चक्रवाती तूफान 'इडाई' को तबाही की दृष्टि से 'अफ्रीका के इतिहास का सबसे भयावह तूफान' की संज्ञा दी है. यह तूफान दक्षिण-पश्चिम हिन्द महासागर क्षेत्र में सबसे खतरनाक एवं तबाही मचाने वाला तूफान माना जाता है. इस तूफान ने 2019 में मोजांबिक और जिम्बाबवे में भारी तबाही मचाई थी जिसमें जान-माल की भारी क्षति हुई थी. इन दोनों देशों के अलावा एक तीसरा देश भी है जिसने प्रलयकारी तूफान का दंश झेला है. बहमास में 'डोरियन' नामक तूफान ने काफी नुकसान पहुंचाया था. अगर इस क्षेत्र में विगत दो दशकों (2000-2019) के मौसम संबंधी घटनाक्रमों पर हम नजर डालें तो पाते हैं कि पूर्तो रिको, म्यांमार और हैती जैसे देश इन घटनाओं से सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं.
बहरहाल, ग्लोबल क्लाइमेट अडैप्टेशन समिट शुरू होने के कुछ घंटे पहले ही यह ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2021 रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. जर्मनवाच के डेविड एक्सटीन ने कहा कि ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स यह दर्शाता है कि इस तरह के जटिल मौसम संबंधी घटनाओं से गरीब देश इनके परिणामों से जूझने की चुनौतियों का सर्वाधिक सामना करते हैं. उन्हें तत्काल आर्थिक व तकनीकी सहायता प्रदान किए जाने की दरकार है. उन्होंने आगे कहा कि यह एक चिंता की बात है कि हालिया कुछ अध्ययन यह दर्शाते हैं कि औद्योगिकृत देशों द्वारा प्रति वर्ष 100 बिलियन डॉलर के संकल्प को पूरा कर पाना दुष्कर है. दूसरी अहम बात यह है कि आर्थिक सहायता के मद में इस राशि का केवल एक छोटा हिस्सा ही उन देशों तक पहुंचा है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वर्ष 2000 से 2019 के बीच सर्वाधिक प्रभावित दस देशों में से आठ विकासशील देश हैं जहां प्रति व्यक्ति आय बहुत ही कम है. 2019 में सर्वाधिक प्रभावित देशों में भारत सातवें स्थान पर रहा. जर्मनवाच की रैंकिंग पर अपनी प्रतिक्रिया में भारत इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी के रिचर्स डायरेक्टर अंजल प्रकाश ने कहा कि अगर भारत ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2021 में 10 सबसे प्रभावित देशों में शुमार है, तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि एक वैज्ञानिक के तौर पर हम उन बिंदुओं पर विचार कर रहे हैं कि तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण एक बड़े बाजार के रूप में उभरते भारत पर इसका क्या प्रतिकूल असर हो सकता है. उन्होंने कहा कि भारत की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर करती है और कृषि क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले प्रभावों की मार पड़ रही है.
Source : IANS/News Nation Bureau