भारत सरकार ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की वर्ष 1991 में हत्या के लिए जिम्मेदार श्रीलंकाई आतंकवादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) पर प्रतिबंध की अवधि और पांच वर्षों के लिए बढ़ाने की घोषणा की. एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया, "यह कदम गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (1967 का 37) की धारा 3 की उप-धाराओं (1) और (3) के तहत तत्काल प्रभाव से लिया गया."
अधिसूचना में कहा गया है, "लिट्टे की निरंतर हिंसक और विघटनकारी गतिविधियां भारत की अखंडता और संप्रभुता के लिए हानिकारक है और यह एक मजबूत भारत विरोधी रुख को अपनाए हुए है, जिसकी वजह से यह भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है." एक आतंकवादी और राजनीतिक संगठन के रूप में चर्चित 'लिट्टे' को मई 1991 में चेन्नई के पास एक चुनावी रैली में आत्मघाती बम विस्फोट के लिए दोषी ठहराया गया है, जिसने राजीव गांधी और कई अन्य लोगों की मौत हो गई थी.
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नई दिल्ली ने 1992 में पहली बार 'लिट्टे' को प्रतिबंधित किया और समय-समय पर प्रतिबंध को बढ़ाया. 'लिट्टे' को कई हाई-प्रोफाइल हत्याओं के लिए भी दोषी ठहराया गया, जिनमें तत्कालीन श्रीलंका के राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा और कोलंबो में रक्षामंत्री रंजन विजेरत्ने के साथ-साथ चेन्नई के केंद्र में प्रतिद्वंद्वी ईपीआरएल ग्रुप के नेता भी शामिल थे.
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एक समय में, लिट्टे ने श्रीलंका के एक तिहाई भू-भाग को नियंत्रित किया और मई 2009 में एक भीषण युद्ध में सैन्य दल द्वारा कुचल दिए जाने से पहले दो-तिहाई द्वीप देश के समुद्र तट को नियंत्रित किया, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई. समूह के सैन्य विनाश के लिए नई दिल्ली को जिम्मेदार ठहराते हुए श्रीलंका के बाहर लिट्टे समर्थक भारत के खिलाफ नफरत फैलाना जारी रखते हैं.
HIGHLIGHTS
- नई दिल्ली ने 1992 में पहली बार 'लिट्टे' को प्रतिबंधित किया था
- एक समय में लिट्टे का श्रीलंका के एक तिहाई भू-भाग में नियंत्रित था
- लिट्टे को कई हाई-प्रोफाइल हत्याओं के लिए भी दोषी ठहराया गया