चीन के राष्ट्रपति शी ज़िनपिंग से छह हफ्ते के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूसरी मुलाकात के दौरान शनिवार को दो महत्वपूर्ण समझौते हुए।
चीन ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह के स्तर से जुड़ी सूचनाएं साझा करने के लिए तैयार हो गया है। इसके साथ ही शी और मोदी 3,448 किलोमीटर लंबे अपने विवादास्पद सीमा पर शांति बनाए रखने पर भी सहमत हुए।
शनिवार को दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद MoU पर हस्ताक्षर किए गए।
पिछले साल डोकलाम विवाद के चलते चीन ने भारत के साथ ब्रह्मपुत्र के प्रवाह से जुड़े आंकड़े साझा करने बंद कर दिए थे। प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन के किंगडाओ शहर में पहुंचे हैं।
बाढ़ के मौसम में ब्रह्मपुत्र में जल-प्रवाह के स्तर से जुड़ी सूचनाओं के आदान-प्रदान के करार को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत के जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनर्जीवन मंत्रालय और चीन के जल संसाधन मंत्रालय के बीच हुए समझौते के तहत चीन हर साल बाढ़ के मौसम यानी 15 मई से 15 अक्टूबर के बीच ब्रह्मपुत्र नदी में जल-प्रवाह से जुड़ी सूचनाएं भारत को उपलब्ध कराएगा।
इसके साथ ही बरसात के बाद अगर नदी में जलस्तर परस्पर सहमति से तय सीमा से ऊपर जाता है तो उसकी भी जानकारी चीन भारत को देगा। दूसरा समझौता भारत से गैर-बासमती चावल खरीद पर सहमति का है। चीन के भारत से गैर-बासमती चावल का आयात करने से व्यापार को संतुलित करने में कुछ हद तक मदद मिल सकती है। अभी दोनों देशों के बीच व्यापार में चीन का निर्यात बहुत अधिक है।
चीन द्वारा आयात किए जाने वाले गैर-बासमती चावल की स्वच्छता और उसके स्वस्थ होने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के नए करार पर चीन के सीमा शुल्क प्रशासन और भारत के कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग की ओर से हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत भारत प्रमाणित गैर-बासमती चावल का चीन को निर्यात कर सकेगा।
चीन दुनिया के सबसे बड़े चावल बाजारों में से एक है। फिलहाल चीन भारत से केवल बासमती चावल का आयात करता है। इससे संबंधित प्रोटोकॉल पर 2006 में सहमति बनी थी। दोनों देशों के बीच अब इस प्रोटोकॉल में संशोधन किया है जिसके तहत भारत अब गैर-बासमती चावल भी चीन को निर्यात कर सकेगा।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर बताया, 'वुहान अनौपचारिक शिखर बैठक में द्विपक्षीय संबंधों की पैदा हुई सकारात्मक गति को और मजबूत करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ सम्मेलन से इतर चीन के राष्ट्रपति से मुलाकात की।'
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'चीन के जल संसाधन मंत्रालय और भारत के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय द्वारा बाढ़ के समय में ब्रह्मपुत्र नदी पर हाइड्रोलोजिकल सूचना मुहैया कराने के प्रावधान पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया।'
बयान के अनुसार, 'समझौते की वजह से चीन प्रत्येक वर्ष बाढ़ के समय में 15 मई से 15 अक्टूबर तक हाइड्रोलोजिकल डाटा भारत को उपलब्ध कराएगा। इस समझौते के तहत बाढ़ का मौसम नहीं होने के बाद भी जलस्तर साझा सहमति स्तर से बढ़ जाने पर भी चीन भारत को हाइड्रोलोजिकल डाटा मुहैया कराएगा।'
चीन ने पिछले वर्ष डोकलाम में दोनों सेनाओं के आमने-सामने आ जाने के बाद यह डाटा भारत को मुहैया नहीं कराया था।
बयान के अनुसार, 'भारत से चीन निर्यात किए जाने वाले 2006 के एक प्रोटोकोल में संसोधन कर गैर-बासमती चावल को शामिल किया गया है।'
बता दें कि यह बैठक शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सलाना सम्मेलन से अलग है।
इससे पहले चीन के आमंत्रण पर 27-28 अप्रैल को वुहान में दोनों देशों के बीच अनौपचारिक वार्ता हुई थी।
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Source : News Nation Bureau