भारत ने क्यूबा पर दशकों से जारी अमेरिकी प्रतिबंध की कड़ी निंदा करते हुए इसे वैश्विक राय का उल्लंघन बताया है। खासतौर तब जब डोनाल्ड ट्रंप पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओर से दी गई ढील को भी वापस लेना चाहते हैं।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में क्यूबा पर अमेरिकी प्रतिबंध को विश्वसमुदाय के बीच की परामर्श नीतियों का उल्लंघन बताया है।
उन्होंने कहा कि इससे संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता घट रही है और बहुपक्षीय संवाद कमजोर पड़ रहा है।
सुदीप बंदोपाध्याय संयुक्त राष्ट्र महासभा के चालू सत्र में पहुंचे बहुदलीय सांसदों के भारतीय प्रतिनिधि-मंडल के सदस्य के तौर पर बोल रहे थे। वह कोलकाता के उत्तर लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं।
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उन्होंने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और बहुपक्षीयवाद के सिद्धांतों में विश्वास रखने वाला भारत खुले तौर पर ऐसे घरेलू कानून जिसका असर दूसरे देशों पर पड़ता हो, उनको अस्वीकार करने के मसले पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ खड़ा है।
तृणमूल सांसद ने सामाजिक व स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्यूबा की प्रगति की तारीफ की और इसे क्यूबा के लोगों की विशिष्ट उपलब्धि करार दिया, जिससे मानव विकास सूचकांक में उसकी रैंकिंग में ऊंचा स्थान हासिल हुआ है।
भारत की यह आपत्ति 1960 से अमेरिका की ओर से लागू घरेलू कानून को लेकर थी जिसके तहत फिदेल कास्त्रो के प्रतिरोध के बाद से अमेरिका ने क्यूबा पर एकतरफा प्रतिबंध लगा दिया है।
बंदोपाध्याय ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आगे आना चाहिए और प्रतिबंध से निकलकर स्वतंत्र वातावरण पैदा करने वाले विचारों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
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1992 से संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रतिबंध के खिलाफ प्रस्ताव के पक्ष में तकरीबन सर्वानुमति देखी जा रही है। इस बार इस रिजोल्यूशन के पक्ष में 191 वोट पड़े। सिर्फ अमेरिका और इजरायल ने इसके खिलाफ वोट किया है।
पिछले साल ओबामा प्रशासन ने वोटिंग से अपने को अलग रखते हुए पहली बार रिश्तों को सामान्य बनाने का संकेत दिया था।
भारत का क्यूबा से मजबूत आर्थिक रिश्ता है। इस हफ्ते भारत के वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु क्यूबा की राजधानी हवाना में थे जहां वे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में हिस्सा लेने पहुंचे थे।
भारत और क्यूबा के बीच वर्ष 2016-17 में 4.31 करोड़ डॉलर का कारोबार हुआ था।
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Source : News Nation Bureau