Advertisment

CRS रिपोर्ट का दावा, ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों को भारत के समर्थन की संभावना कम

भारत अमेरिका की इस दलील को नहीं मानता है कि ईरान ने परमाणु करार का उल्लंघन किया है।

author-image
pradeep tripathi
एडिट
New Update
CRS रिपोर्ट का दावा, ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों को भारत के समर्थन की संभावना कम
Advertisment

सीआरएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर भारत और भारतीय कंपनियां अमेरिका का कितना साथ देंगी इस पर कुछ भी निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है।

इसके साथ ही कहा गया है कि भारत अमेरिका की इस दलील को नहीं मानता है कि ईरान ने परमाणु करार का उल्लंघन किया है।

कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की रिपोर्ट के अनुसार यूरोपियन यूनियन की तरह ही भारत भी अमरिका के इस मूल्यांकन को नहीं मानता है कि ईरान परणाणु करार के उल्लंघन का दोषी है।

रिपोर्ट में कहा है, 'अमेरिका की तरफ से ईरान पर दोबारा लगाए गए प्रतिबंधों को भारत कितना सहयोग देगा यह कहना मुश्किल है। यूरोपीय देशों की तरह ही भारत के नेता भी मानते हैं कि ईरान ने कोई ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ ऐक्शन का उल्लंधन नहीं किया है और उस पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिये।'

इस महीने ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ परमाणु डील से बाहर होने की घोषणा की थी।

और पढ़ें: कर्नाटक: 22 Cong,12 JDS नेता होंगे मंत्री, परमेश्वरा बनेंगे डिप्टी CM

परमाणु करार से हटने के साथ ही ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लग गया। जिसके परिणाम स्वरूप कोई भी देश और कंपनी जो ईरान के साथ काम या व्यापार कर रही हैं उन पर भी प्रतिबंध लग जाएगा।

फिलहाल चीन के बाद भारत ईरान के तेल का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। रिपोर्ट में माना गया है कि भारत ने ईरान के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन करता रहा है। ताकि वो अपना परमाणु कार्यक्रम रोक दे।

और पढ़ें: वेदांता कॉपर प्लांट के खिलाफ हिंसक हुआ विरोध-प्रदर्शन, 9 की मौत

Source : News Nation Bureau

INDIA USA Trump Administration Iran deal CRS Report
Advertisment
Advertisment