सीआरएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर भारत और भारतीय कंपनियां अमेरिका का कितना साथ देंगी इस पर कुछ भी निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है।
इसके साथ ही कहा गया है कि भारत अमेरिका की इस दलील को नहीं मानता है कि ईरान ने परमाणु करार का उल्लंघन किया है।
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की रिपोर्ट के अनुसार यूरोपियन यूनियन की तरह ही भारत भी अमरिका के इस मूल्यांकन को नहीं मानता है कि ईरान परणाणु करार के उल्लंघन का दोषी है।
रिपोर्ट में कहा है, 'अमेरिका की तरफ से ईरान पर दोबारा लगाए गए प्रतिबंधों को भारत कितना सहयोग देगा यह कहना मुश्किल है। यूरोपीय देशों की तरह ही भारत के नेता भी मानते हैं कि ईरान ने कोई ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ ऐक्शन का उल्लंधन नहीं किया है और उस पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिये।'
इस महीने ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ परमाणु डील से बाहर होने की घोषणा की थी।
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परमाणु करार से हटने के साथ ही ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लग गया। जिसके परिणाम स्वरूप कोई भी देश और कंपनी जो ईरान के साथ काम या व्यापार कर रही हैं उन पर भी प्रतिबंध लग जाएगा।
फिलहाल चीन के बाद भारत ईरान के तेल का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। रिपोर्ट में माना गया है कि भारत ने ईरान के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन करता रहा है। ताकि वो अपना परमाणु कार्यक्रम रोक दे।
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Source : News Nation Bureau