भारत-अफगानिस्तान के बीच संबंधों का एक नया अध्याय तालिबान के सत्ता की संभालने के बाद शुरू हुआ. विदेश मंत्रालय में PAI के ज्वाइंट सेक्रेटरी जेपी सिंह की अगुवाई में काबुल पहुंचे भारतीय डेलिगेशन की मुलाकात तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से हुई. इस मुलाकात के बाद तालिबान सरकार की तरफ से जारी बयान में राजनीतिक, व्यापारिक और मानवीय मुद्दे पर बातचीत को अहम बताया गया. साथ ही मुलाकात की तस्वीर भी जारी की गई.
तालिबान के 9 महीने के शासन के बाद यह भारत की तरफ से पहला औपचारिक डेलिगेशन भेजा गया है. हालांकि, भारत ने इस यात्रा का आधार मानवीय सहायता बताया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि इस यात्रा से तालिबान को मान्यता देने का कयास लगाना उचित नहीं होगा. बागची ने बताया कि इस यात्रा के दौरान इंडियन डेलिगेशन अफगानिस्तान में चल रहे भारतीय प्रोजेक्ट्स का दौरा करेगा.
साथ ही वहां कार्यरत अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात होगी, जो अफगानिस्तान में भारत से भेजी जा रही मानवीय सहायता को जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे हैं. अफगानिस्तान में भारत ने पाकिस्तान से लंबे जद्दोजहद के बाद सड़क मार्ग से गेहूं की सप्लाई शुरू की. वहीं, जरूरी दवाओं की कई खेप भी पहुंचाई गई. भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने इस यात्रा के दौरान काबुल स्थित इंदिरा गांधी चिल्ड्रन हॉस्पिटल का भी दौरा किया. साथ ही विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी तस्वीरों में भारतीय प्रतिनिधि आम लोगों से भी मिलते नजर आए.
काबुल में भारतीय अंबेसी कब से चालू होगी, इस सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि पिछले साल तालिबान के सत्ता में आने के दौरान सुरक्षा कारणों से हमारे राजनयिक भले ही लौट आए, लेकिन वहां एंबेसी लोकल लोगों की मदद से चल रही है. सुरक्षा कारणों से इस यात्रा का संपूर्ण विवरण अभी जारी नहीं किया गया है. साथ ही इस डेलिगेशन के फॉर्मेशन के बारे में भी जानकारी नहीं दी गई है.
Source : Madhurendra Kumar