नागरिकता संशोधन कानून पर भारत को अंतरराष्ट्रीय तौर पर बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. दरअसल यूरोपीय संसद में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पर शुक्रवार को वोटिंग नहीं होगी. दरअसल इस प्रस्ताव को मार्च के आखिरी हफ्ते के लिए टाल दिया गया है. अब यूरोपीय संघ का दूसरा सेशन मार्च में होगा. भारत ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि युरोपीय संसद में भारत के दोस्त एक बार फिर पाकिस्तान के समर्थकों पर भारी पड़े हैं.
जानकारी के मुताबिक यूरोपियन पीपुल्स पार्टी ग्रुप नागिरकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पर वोटिंग टालने के लिए एक प्रस्ताव संसद में लाया गया था जिसे 271 वोट से पास करा दिया गया था. इस दौरान 13 सदस्य अनुपस्थित भी रहे.
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बता दें, इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को यूरोपीय संसद अध्यक्ष डेविड मारिया सासोली को उक्त प्रस्तावों के संदर्भ में पत्र लिखकर कहा था कि एक देश की संसद द्वारा दूसरी संसद के लिए फैसला देना अनुचित है और निहित स्वार्थो के लिए इनका दुरुपयोग हो सकता है. बिरला ने पत्र में लिखा कि अंतर संसदीय संघ के सदस्य के नाते हमें दूसरे देशों, विशेष रूप से लोकतांत्रिक देशों की संसद की संप्रभु प्रक्रियाओं का सम्मान रखना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में मुसलमानों को संरक्षण प्रदान नहीं किए जाने की निंदा की गई है. इसमें यह भी कहा गया है कि भूटान, बर्मा, नेपाल और श्रीलंका से भारत की सीमा लगी होने के बाद भी सीएए के दायरे में श्रीलंकाई तमिल नहीं आते जो भारत में सबसे बड़ा शरणार्थी समूह है और 30 साल से अधिक समय से रह रहे हैं.