रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनने का मजबूत उम्मीदवार है. उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि आज हमने संयुक्त राष्ट्र के संभावित सुधारों की बातचीत की. इस बातचीत में यह बात सामने आई है कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के लिए एक मजबूत उम्मीदवार है और हम भारत की इस मजबूत उम्मीदवारी का समर्थन करते हैं. हमारा मानना है कि भारत सुरक्षा परिषद का पूर्ण सदस्य बन सकता है.
Today we talked of probable reforms of the United Nations & India is a strong nominee to become a permanent member of UN Security Council & we support India's candidacy. We believe it can become a full-fledged member of the Security Council: Russian Foreign Minister Sergei Lavrov pic.twitter.com/crXZEx1s6V
— ANI (@ANI) June 23, 2020
इसके पहले भारत-चीन (India-China) के बीच गलवान घाटी में जारी विवाद पर रूस का बड़ा बयान आया था, जिसमें रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस को नहीं लगता कि भारत और चीन को सीमा विवाद सुलझाने के लिए किसी तीसरे देश की मदद की जरूरत है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का कहना है कि मुझे नहीं लगता कि भारत-चीन को किसी बाहरी की मदद की जरूरत है. उन्हें मदद करने की आवश्यकता है, खासकर जब यह देश का मुद्दा हो. वे दोनों देश उन्हें अपने दम पर हल कर सकते हैं. इसका मतलब यह है कि वह हाल की घटनाओं को खुद हल कर सकते हैं.
I don't think that India & China need any help from the outside. I don't think they need to be helped,especially when it comes to country issues. They can solve them on their own, it means the recent events: Russian Foreign Minister Sergei Lavrov at RIC foreign ministers' meeting pic.twitter.com/gwsr5GEwd0
— ANI (@ANI) June 23, 2020
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उन्होंने कहा कि हम आशा करते हैं कि दोनों देशों में स्थिति शांतिपूर्ण बनी रहेगी. वे विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे. आपको बता दें कि मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भारत-चीन-रूस के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई. इस दौरान एस जयशंकर ने कहा- सबके हित में विश्व के नेतृत्व की आवाज उठनी चाहिए. इन आवाजों को सबके लिए उदाहरण पेश करना होगा.
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एस जयशंकर ने आगे कहा कि यह विशेष मीटिंग अंतरराष्ट्रीय सम्बंधों के टाइम टेस्टेड प्रिंसिपल में हमारे विश्वास को दोहराती है, लेकिन आज की चुनौती अवधारणाओं और मानदंडों की नहीं, बल्कि इसके समान रूप से अभ्यास की है. आपको बता दें कि एलएसी पर सबके हित में चीनी सैनिकों ने धोखे से इंडियन आर्मी के जवानों पर हमला कर दिया था. इसमें 20 जवान शहीद हुए थे.
Source : News Nation Bureau