अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान (Afghanistan) से वापसी और तालिबान के सत्ता में आने की आशंका प्रबल होते देख पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) काफी खुश नजर आ रहे हैं. उन्हें लग रहा है कि अगर तालिबान (Taliban) अफगानिस्तान में फिर आता है तो पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को फैलाने में मदद मिलेगी. इस बीच भारत ने भी पाकिस्तान के किसी भी नापाक मंसूबे फेल करने के लिए कमर कस ली है. कतर की यात्रा के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) रूस जाते समय अचानक से ईरान (Iran) पहुंच गए. ये तीनों ही देश अफगानिस्तान के भविष्य के निर्धारण में बेहद अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं.
जयशंकर ने लिया ईरान को लूप में
भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने बुधवार को ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ के साथ मुलाकात की. दिलचस्प बात यह थी कि इस मुलाकात के ठीक पहले ईरानी विदेश मंत्री ने तालिबान और अफगान सरकार के प्रतिनिधियों के बीच एक बैठक शुरू कराई थी. जयशंकर ने ईरान के राष्ट्रपति चुने गए इब्राहिम रईसी के साथ भी मुलाकात की. जयशंकर पहले ऐसे विदेश मंत्री हैं जो ईरान के नए राष्ट्रपति से मिले हैं. ईरानी राष्ट्रपति के साथ मुलाकात के दौरान भारतीय विदेश मंत्री उन्हें पीएम मोदी का निजी संदेश सौंपा.
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ईरान का भी प्रभाव है तालिबान पर
सूत्रों के मुताबिक ईरानी विदेश मंत्री के साथ मुलाकात के दौरान जयशंकर ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर प्रमुखता से चर्चा की. यह चर्चा ऐसे समय पर हुई जब तालिबान ने अफगानिस्तान के 10 फीसदी जिलों पर कब्जा कर लिया है. ईरानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा, 'दोनों पक्षों ने अंतर अफगान संवाद को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया ताकि अफगानिस्तान के मुद्दे का व्यापक राजनीतिक हल निकल सके.' इस बातचीत के कुछ घंटे पहले ही ईरान की राजधानी तेहरान में अंतर-अफगान बातचीत हुई थी. इस बातचीत में तालिबान और अफगान सरकार के दिग्गज वार्ताकारों ने हिस्सा लिया.
चाबहार प्रोजेक्ट पर भी हुई बातचीत
इस बातचीत पर ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत के विदेश मंत्री ने एक व्यापक राजनीतिक समाधान के लिए तालिबान और अफगान सरकार के बीच इस बातचीत को आयोजित करने के लिए ईरान को बधाई दी. जरीफ और जयशंकर के बीच बातचीत में चाबहार प्रोजेक्ट पर भी बातचीत हुई. भारत ने इस अहम परियोजना में निवेश किया है. ईरान के बाद अब विदेश मंत्री जयशंकर रूस पहुंच रहे हैं जहां पर उनकी तालिबान और अफगानिस्तान के मुद्दे पर चर्चा होने के आसार हैं. माना जा रहा है कि रूस अफगानिस्तान के भविष्य के निर्माण में अहम भूमिका निभा सकता है. इससे पहले जयशंकर कतर भी गए थे जहां उन्होंने कतर के विदेश मंत्री से मुलाकात की थी. कतर वही जगह है जहां पर तालिबान के वार्ताकारों ने एक डील पर हस्ताक्षर किया था.
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इमरान खान बता रहे भारत को सबसे बड़ा लूजर
गौरतलब है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं के जाने से बेहद खुश नजर आ रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तालिबान के शासन की ओर इशारा करते हुए सोमवार को कहा कि इस इलाके में अब बहुत गंभीर बदलाव होंगे. इसमें भारत 'सबसे बड़ा लूजर' साबित होने जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में जिस तरह के बदलाव होने जा रहे हैं, उससे खुद अमेरिका को भी बहुत नुकसान होगा. सुविज्ञ रहे कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी शुरू हो गई है और राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसकी समयसीमा 11 सितंबर रखी है.
HIGHLIGHTS
- भारतीय विदेश मंत्री ने की ईरानी प्रेसिडेंट से मुलाकात
- अमेरिका के हटने पर रूस का अफगान में बढ़ेगा दखल
- ईरान-रूस के सहयोग से देंगे पाकिस्तानी मंसूबों को मात