Coronavirus (Covid-19): अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) ने कोविड-19 महामारी (Corona Virus) से उत्पन्न कठिन परिस्थितियों को देखते हुये भुगतान संतुलन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान को 1.386 अरब अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता जारी करने को मंजूरी दी है. भारत ने पाकिस्तान द्वारा वायरस से लड़ाई में होने वाले खर्च के ऊपर सवाल खड़े किए हैं. भारत ने कहा है कि पाकिस्तान में कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए हो रहे खर्च में अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव किए जा रहे हैं.
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गैर भेदभावपूर्ण खर्च होना चाहिए: सुरजीत एस भल्ला
आईएमएफ के बोर्ड में भारत के कार्यकारी निदेशक सुरजीत एस भल्ला ने कहा कि पाकिस्तान में स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा पर खर्च गैर-भेदभावपूर्ण होना चाहिए. इसके अलावा ब्लूचिस्तान और सिंध प्रांत में भी पाकिस्तान को ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि वहां की स्थिति काफी चिंताजनक है. उन्होंने रिपोर्ट को आधार बताकर कहा कि पाकिस्तान में हिंदू, सिख, ईसाई और अहमदिया अल्पसंख्यक समाज के काफी कमजोर तबके हैं और वहां पर उनके साथ काफी खराब व्यवहार किया जाता है.
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बता दें कि आईएमएफ ने वित्तीय सहायता का यह फैसला पाकिस्तान के अनुरोध पर किया, जो भुगतान संतुलन संबंधी कठिन संकट से गुजर रहा है. यह राशि छह अरब डॉलर के उस राहत पैकेज के अतिरिक्त होगी, जिसके लिए इस्लामाबाद ने पिछले साल जुलाई में आईएमएफ के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. आईएमएफ के प्रथम उप प्रबंध निदेशक और कार्यकारी अध्यक्ष जैफ्री ओकामोटो ने कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर काफी असर हो रहा है. उन्होंने कहा कि वैश्विक मंदी के साथ ही घरेलू अवरोधों से वृद्धि बुरी तरह प्रभावित हो रही है, जिससे बाहरी वित्तपोषण भी प्रभावित हुआ है. इस कारण तत्काल भुगतान संतुलन को पूरा करने की जरूरत है.
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ओकामोटो ने कहा कि अधिकारियों ने मौजूदा विस्तारित निधि सुविधा में सुधारों की प्रतिबद्धता को नया रूप दिया है, जो लचीलापन लाने के लिए महत्वपूर्ण होगा. इससे पाकिस्तान की वृद्धि संबंधी क्षमताएं बढ़ेंगी और सभी पाकिस्तानियों को इसका फायदा मिलेगा. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संकट के जवाब में पाकिस्तान सरकार ने तेजी से कार्रवाई की है और आर्थिक गतिविधियों को सहारा देने के लिए एक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज दिया है. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य खर्च बढ़ाया जा रहा है और सबसे कमजोर लोगों को तत्काल राहत देने के लिए सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को मजबूत किया जा रहा है. (इनपुट भाषा)