अमेरिका के एक थिंक टैंक ने कहा है कि दक्षिण एशिया में चीन के महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड पर लगाम लगाने में कुछ हद तक भारत कामयाब हुआ है।
थिंक टैंक की तरफ से कहा गया है कि भारत दुनिया का एक मात्र ऐसा बड़ा देश है जिसने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर विरोध जताया।
अमेरिकी थिंक टैंक जर्मन मार्शल फंड के ऐंड्रयू स्मॉल ने कहा, 'भारत ने दक्षिण एशिया में चीन के वन बेल्ट वन रोड इनिशटिव पर कुछ हद तक लगाम लगाई है।'
भारत ने वन बेल्ट वन रोड (ओओरओबी) की फ्लैगशिप योजना सीपीईसी को लेकर संप्रभुता संबंधी चिंताओं की वजह से पिछले साल इस परियोजना पर हुई बैठक में हिस्सा नहीं लिया था।
यूएस-चाइना इकनॉमिक ऐंड सिक्योरिटी रिव्यू कमिशन में सुनवाई के दौरान स्मॉल ने कहा, 'भारत श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश में चीन की परियोजना पर लगाम लगाने में कामयाब रहा है। भारत की अपनी चिंताएं है जिसे सिर्फ आर्थिक विकल्प के तौर पर नहीं देखा जा सकता।'
स्मॉल के मुताबिक चीन ने सीपीईसी और ओआरओबी पर यूरोपियन यूनियन और रूस से समर्थन पाने की कोशिश की। ऐसी ही उसने जापान को भी अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत इसकेलिए तैयार कर लिया लेकिन चीन भारत के लिए ऐसे राजनीतिक प्रयास करने में असफल रहा।
स्मॉल ने कहा, 'चीन ने कभी नहीं सोचा था कि भारत सीपीईसी का विरोध करेगा। इससे चीन को इस क्षेत्र में उम्मीदों के मुताबिक परिणाम मिलने की संभावना अब कम दिख रही है। थिंक टैंक के दूसरे विशेषज्ञ के मुताबिक पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रांत में स्थित ग्वादर बंदरगाह को भारत अपने लिए खतरा मानता है।'
एक और विशेषज्ञ ने कहा अगर चीन ग्वादर पोर्ट पर अपनी सैन्य क्षमता का विस्तार करता है तो उसके लिए अरब सागर भारतीय नौसेना की गितिविधि पर नजर रखना बेहद आसान हो जाएगा।
Source : News Nation Bureau