रूस से S-400 एयर डिफेंस डील के बाद भारत ने अपनी नौसेना के 7 पोतों के लिए BARAK 8-LRSAM हवाई एवं मिसाइल रक्षा टेक्नॉलजी की आपूर्ति के लिए इजरायली रक्षा कंपनी के साथ एक और करार किया है. सरकारी इजरायल ऐरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) को 777 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त कॉन्ट्रैक्ट मिला है. इजरायल एरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने बुधवार को जानकारी देते हुए कहा कि ताजा सौदे के साथ ही भारत और इजरायल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित तथा रक्षा क्षेत्र में मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की प्रतीक बराक 8 टेक्नॉलजी पिछले कुछ वर्षों में 6 अरब डॉलर के कारोबार को पार कर गई है.
लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (LRSM) टेक्नॉलजी एक परिचालित हवाई एवं मिसाइल रक्षा (AMD) टेक्नॉलजी है जिसे इजरायल की नौसेना और भारत की नौसेना, जमीनी एवं हवाई बल इस्तेमाल करते हैं.
यह टेक्नॉलजी हवाई क्षेत्र, समुद्र या जमीन से समुद्री क्षेत्र को बड़े खतरे के विरुद्ध व्यापक हवाई एवं सटीक रक्षा उपलब्ध कराती है.
टेक्नॉलजी डिजिटल रडार, कमान और नियंत्रण, लॉंचर, आधुनिक रेडियो फ्रीक्वेंसी युक्त इंटरसेप्टर, डेटा लिंक और टेक्नॉलजी-व्यापक कनेक्टिविटी जैसी कई अत्याधुनिक प्रणालियों से लैस है.
और पढ़ें: डोनाल्ड ट्रंप की धमकी, कहा- ईरान से तेल और रूस से एस-400 भारत के लिए 'फायदेमंद' नहीं
विमान, हेलीकॉप्टर, ड्रोन और प्रक्षेपकों सहित कम से लेकर लंबी दूरी तक के हवाई खतरों से रक्षा के लिए तैयार की गई बराक-8 में अत्याधुनिक चरणबद्ध मल्टी मिशन रडार, टू वे डेटा लिंक और आसान कमान एवं नियंत्रण टेक्नॉलजी लगी है जो इस्तेमाल करने वालों को दिन और रात तथा सभी मौसम परिस्थितियों में एक साथ कई लक्ष्यों को नष्ट कर देने में सक्षम बनाती है.
इस मिसाइल रक्षा टेक्नॉलजी का विकास संयुक्त रूप से IAI, भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), इजरायल की एडमिनिस्ट्रेशन फॉर द डेवलपमेंट ऑफ वेपंस एंड टेक्नोलॉजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर, एल्टा सिस्टम्स, राफेल और भारत की कुछ अन्य रक्षा कंपनियों ने किया है.
IAI द्वारा घोषित नया समझौता नयी दिल्ली की भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के साथ हुआ है जो परियोजना में मुख्य संविदाकार के रूप में काम कर रही है.
इजरायल के रक्षा मंत्री एविगडोर लिबरमैन ने टि्वटर पर कहा, ‘इजरायल एरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) और रक्षा प्रतिष्ठान को भारत को बराक-8 की बिक्री से जुड़े व्यापक कारोबार पर बधाई.’
उन्होंने कहा कि सौदा इस बात का ‘सबूत है कि सुरक्षा एक निवेश है, न कि खर्च.’
और पढ़ें: S-400 मिसाइल सौदा, ईरान से तेल आयात पर भारत की अमेरिका से बातचीत जारी
लिबरमैन ने कहा कि IAI एक राष्ट्रीय परिसंपत्ति है जिसे बनाए रखा जाना चाहिए और मजबूत किया जाना चाहिए.
IAI के मुख्य कार्याधिकारी और अध्यक्ष निम्रोद शेफर ने कहा, ‘भारत के साथ IAI की भागीदारी वर्षों पुरानी है और इसका परिणाम संयुक्त टेक्नॉलजी विकास एवं उत्पादन के रूप में निकला है. IAI के लिए भारत एक बड़ा बाजार है और भारत में अपनी मौजूदगी को मजबूत करने की हमारी योजना है, बढ़ती प्रतिस्पर्धा के मद्देनजर भी.’
सिस्टम्स, मिसाइल्स एंड स्पेस ग्रुप के कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं महाप्रबंधक बोआज लेवी ने कहा, ‘इस सौदे के साथ पिछले कुछ वर्षों में बराक 8 की बिक्री छह अरब डॉलर से अधिक के कारोबार को पार कर गई है. यह इस अत्याधुनिक हथियार टेक्नॉलजी की क्षमताओं का एक और साक्ष्य है जो IAI के लिए प्रमुख वृद्धि साधन के रूप में काम करता है.’
इजरायल को पिछले साल अपने इतिहास में भारतीय थलसेना और नौसेना के लिए मिसाइल रक्षा टेक्नॉलजी का दो अरब डॉलर का सबसे बड़ा सौदा मिला था.
इसके कुछ महीने बाद बी ई एल के सहयोग से भारतीय नौसेना के चार पोतों के लिए सतह से हवा में मार करने वाली बराक 8 मिसाइल टेक्नॉलजी का 63 करोड़ डॉलर का एक और सौदा मिला था.
Source : News Nation Bureau