अफगानिस्तान में आतंक के समर्थकों को नजरअंदाज कर रही सुरक्षा परिषद: भारत

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का यह पहला और महत्वपूर्ण कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करे की आतंकवाद व कट्टरवाद को बढ़ावा देने वाले बलों को किसी भी जगह सुरक्षित पनाह किसी भी स्तर पर नहीं मिले।

author-image
Deepak Kumar
एडिट
New Update
अफगानिस्तान में आतंक के समर्थकों को नजरअंदाज कर रही सुरक्षा परिषद: भारत

आतंक समर्थकों को नजरअंदाज कर रही सुरक्षा परिषद (पीटीआई)

Advertisment

भारत ने सुरक्षा परिषद और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर आरोप लगाया है कि वे अफगानिस्तान को तहस-नहस करने वाले आतंकवादियों व उनके समर्थकों को नजरअंदाज कर रहे हैं जबकि 'यह ताकतें दुनिया के सबसे बड़े एकजुट सैन्य प्रयास के खिलाफ खड़ी हैं।' 

सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने बुधवार को वहां के हालात पर एक चर्चा के दौरान कहा, 'अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा समस्या को देखने की सामूहिक अक्षमता और अनिच्छा से अफगानिस्तान के लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ी है।'

उन्होंने कहा, 'यहां तक कि परिषद अफगानिस्तान में हुए कुछ आतंकवादी हमलों की निंदा करने से भी दूर रही है।'

परिषद द्वारा अफगानिस्तान के मुद्दे पर केवल तिमाही बैठक करने, जबकि ऐसे ही अन्य संघर्षो की अक्सर चर्चा करने की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा, 'ऐसा क्यों है कि हम सुरक्षा परिषद द्वारा अफगानिस्तान के विवाद पर विचारों या कार्रवाई की योजनाओं की चर्चा नहीं सुन रहे जिसमें बहुत सारे अफगान लोगों को हिंसक हमले में जान गवानी पड़ी है।'

राष्ट्रपति चुनाव: कोविंद के मुकाबले मीरा कुमार होंगी उम्मीदवार, विपक्ष ने लगाई मुहर

उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के हमलों को महज 'सरकार विरोधी तत्वों' का काम या नागरिक व राजनीतिक विवादों का मुद्दा बताकर इनका महत्व कम किया जाता है।

अकबरुद्दीन ने सीधे तौर पर पाकिस्तान या इसके संरक्षक चीन का नाम लिए बिना अफगानिस्तान की समस्या के लिए पाकिस्तान कारक को उठाया।

उन्होंने तार्किक प्रश्नों को रखते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद और विश्व समुदाय सवाल पूछने से दूर हो रहे हैं, जो सवाल पाकिस्तान की भूमिका को इंगित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, 'ये सरकार विरोधी तत्व कहां से हथियार, विस्फोटक, प्रशिक्षण व राशि प्राप्त कर रहे हैं? वे कहां से सुरक्षित ठिकाना व पनाहगाह प्राप्त कर रहे हैं?'

पाकिस्तानी सेना का दावा, कुलभूषण जाधव ने जासूसी के लिए मांगी मांफी, दाखिल की दया याचिका

उन्होंने कहा, 'कैसे ये तत्व दुनिया के सबसे बड़े एकजुट सैन्य प्रयास के सामने खड़े हैं? कैसे यह तत्व अफगान लोगों की हत्या व क्रूरता में दुनिया के सबसे भयावह आतंकवादियों के साथ सहयोग करते हैं?'

उन्होंने कहा कि परिषद द्वारा अफगानिस्तान के आतंकवादियों पर लगाए जाने वाले संभावित प्रतिबंध निष्प्रभावी हैं। उन्होंने कहा कि परिषद की मंजूरी समिति ने वैश्विक स्तर पर नशीले पदार्थो के दवाओं की कीमतों में वृद्धि के साथ-साथ अफीम उत्पादन की असाधारण वृद्धि को नजरअंदाज कर दिया है।

और पढ़ें: पाकिस्तान के हमले में सेना के दो जवान शहीद, घुसपैठ की कोशिश नाकाम

अकबरुद्दीन ने कहा, 'अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का यह पहला और महत्वपूर्ण कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करे की आतंकवाद व कट्टरवाद को बढ़ावा देने वाले बलों को किसी भी जगह सुरक्षित पनाह किसी भी स्तर पर नहीं मिले।'

उन्होंने कहा कि तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, अल कायदा, दाएश (आईएस), लश्कर ए तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद व इनके जैसे दूसरे संगठनों से आतंकवादी संगठनों की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए, इनकी गतिविधियों का कोई भी औचित्य नहीं है।

भारत की आबादी 2024 तक चीन से ज्यादा हो जाएगी: संयुक्त राष्ट्र

HIGHLIGHTS

  • भारत ने सुरक्षा परिषद और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर आरोप लगाया है कि वे अफगानिस्तान को तहस-नहस करने वाले आतंकवादियों व उनके समर्थकों को नजरअंदाज कर रहे हैं
  • आतंकवादियों के हमलों को महज 'सरकार विरोधी तत्वों' का काम या नागरिक व राजनीतिक विवादों का मुद्दा बताकर इनका महत्व कम किया जाता है

Source : IANS

afghanistan taliban United Nations United Nations Security Council Pakistan Terror Lashkar-e-Toiba
Advertisment
Advertisment
Advertisment