ब्रिटेन के पायलटों ने 1980 के दशक में श्रीलंका (Srilanka) में ‘लिबरेशन टाइगर्स फॉर तमिल ईलम’ (LTTE-लिट्टे) विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई में भारतीय सैनिकों की मदद की थी. एक नई किताब में पहली बार इसका खुलासा किया गया है. ब्रिटेन स्थित खोजी पत्रकार फिल मिलर के लेखन वाली ‘कीनी मीनी : द ब्रिटिश मेर्सेनेरीज हू गॉट अवे विद वॉर क्राइम्स’ किताब के अनुसार,भारतीय शांति रक्षा बल (IPKF-आईपीकेएफ) को ब्रिटेन के पायलटों से हवाई सहयोग मिला. हालांकि भारतीय राजनयिक श्रीलंका में ब्रिटेन के पायलटों की मौजूदगी की सार्वजनिक तौर पर निंदा करते रहे हैं.
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मिलर ने कहा, ‘‘श्रीलंका में ब्रिटिश पायलटों की मौजूदगी का भारत द्वारा सार्वजनिक तौर पर विरोध किए जाने के बावजूद मेरे अध्ययन से पता चलता है कि 1987 तक भारतीय सेना जाफना में अपने अभियानों के लिए हवाई मदद मुहैया कराने के लिए श्वेत पायलटों का इस्तेमाल करती रही जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि मेरे दुश्मन का दुश्मन मेरा दोस्त है.’’
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और तत्कालीन श्रीलंकाई राष्ट्रपति जूनियस जयवर्धने के बीच 1987 में हुए भारत-श्रीलंका समझौते के बाद भारत ने गुप्त तरीके से चार महीनों तक ब्रिटिश सैनिकों का इस्तेमाल किया. किताब में आईपीकेएफ के आने से पहले तमिल नागरिकों के खिलाफ ब्रिटिश सैनिकों के अत्याचारों का भी जिक्र है. किताब में ब्रिटेन द्वारा जयवर्धने की मदद करने का भी उल्लेख है.
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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के श्रीलंका में निजी दूत गोपालस्वामी पार्थसारथी ने ब्रिटेन के सबसे वरिष्ठ राजनयिक सर एंथनी अकलैंड को आगाह किया था कि ‘‘श्रीलंकाई सुरक्षा बलों को ब्रिटेन द्वारा प्रशिक्षण देना मददगार साबित नहीं होगा.’’
Source : Bhasha