ऑस्ट्रेलिया (Australia) में 21 मई को मतदान होने वाले हैं. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को अपना खास दोस्त मानने वाले ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन (Scott Morrison) लिबरल पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में हैं. उन्हें लेबर पार्टी के प्रत्याशी एंथनी एलबनिजी से चुनौती मिल रही है. ऑस्ट्रेलिया में सात लाख भारतीय किंग मेकर भी भूमिका में हैं. यहां पर ब्रिटिश समुदाय के बाद भारतीय समुदाय दूसरा ऐसा समुदाय है, जिसकी आबादी ऑस्ट्रेलिया में दूसरे मुल्क के लोगों से अधिक है. ऐसे में भारतीय मूल के ऑस्ट्रेलियाई नागरिक किसी भी नेता की सियासी किस्मत को तय कर सकते हैं.
मॉरिसन और एलबनिजी इन दिनों मंदिर-गुरुद्वारों में जाकर वोट मांग रहे हैं. अन्य पार्टियों के उम्मीदवार भी भारतीय समुदाय के बीच घूम-घूमकर वोट मांग रहे हैं. दोनों ही बड़ी पार्टियों ने इस संघीय चुनाव में सौ से अधिक गैर अंग्रेजी मुल्कों से संबंध रखने वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया है. इनमें एक तिहाई टिकटें भारतीय मूल के उम्मीदवारों को दी गई हैं.
भारतीय मूल के उम्मीदवारों का खास महत्व
ऑस्ट्रेलिया के दो बड़े राज्य न्यू साउथ वेल्स और विक्टोरिया में भारतीय समुदाय की सबसे अधिक आबादी है. यहां पर दोनों जगहों पर दो लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं. न्यू साउथ वेल्स की राजधानी सिडनी के पश्चिमी इलाके में दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर है. लिबरल पार्टी ने यहां की ग्रीनवे सीट से प्रदीप पाठी को टिकट दिया है. इसके अलावा लिबरल पार्टी की ओर से दोनों राज्यों में स्थित भारतीय बहुल इलाकों में पैरामेटा ग्रीनवे, लेलोर, चिफले, होथम और मरीबियोंग में भारतीय मूल के उम्मीदवार उतारे हैं.
लेबर पार्टी की ओर से हिगिंस, ला ट्रोब, स्वान और वेर्रवा इलाकों में भारतीय मूल के उम्मीदवारों को तवज्जों दी है. इस मामले में विशेषज्ञों की राय है कि ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि भारतीय समुदाय के प्रति स्थानीय नेताओं का इतना बड़ा झुकाव है.
दोस्ती के किस्से सुनाते हैं स्कॉट
स्कॉट मॉरिसन ने कुछ दिन पहले भगवा स्कार्फ पहनकर हिन्दू कॉउन्सिल के कार्यक्रम में शिरकत की थी. प्रवासियों में भारत के पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को देखते हुए मोदी के साथ अपनी अखंड दोस्ती की बात की. उन्होंने परिषद को साढ़े 13 करोड़ रुपए देने का वादा भी किया. लेबर प्रत्याशी एंथनी ने भी बाद में परिषद के कार्यक्रम में भाग लिया.
भारतीय मूल के 21 उम्मीदवार मैदान में उतरे
2019 के चुनाव में भी भारतीय मूल के 21 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे. इतिहास पर नजर डालें तो ऑस्ट्रेलिया में कई संघीय चुनावों में किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. सरकार बनाने के लिए गठबंधन का सहरा लेना पड़ा. ऐसी कई सीटें हैं, जहां पर एक से दो प्रतिशत वोट ही सरकार बदलने के लिए काफी हैं.
HIGHLIGHTS
- मॉरिसन इन दिनों मंदिर-गुरुद्वारों में जाकर वोट मांग रहे हैं
- एक तिहाई टिकटें भारतीय मूल के उम्मीदवारों को दी गई हैं