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बांग्लादेश में रह रहे भारतीयों को घर से बाहर न निकलने की सलाह, जानें उच्चायोग ने क्यों जारी किया ये फरमान

Bangladesh Protest: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थिति भारतीय उच्चायोग ने अपने देश के नागिरकों के लिए एडवाइजरी जारी की है. जिसमें कहा गया है कि वे जहां रह रहे हैं वहां से बाहर न निकलें. उच्चायोग ने ये फैसला देश में हो रहे आरक्षण विरोधी आंदोलन को देखते हुए लिया है.

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Suhel Khan
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Protest in Bangladesh

Protest in Bangladesh ( Photo Credit : Social Media)

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Bangladesh Protest: बांग्लादेश में इनदिनों सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ बवाल मचा हुआ है. इस बीच ढाका स्थिति भारतीय उच्चायोग ने वहां रह रहे भारतीयों के लिए एडवाइजरी जारी की है. जिसमें कहा गया है कि वे अपने घरों/हॉस्टलों से बाहर न निकलें. साथ ही बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों को यात्रा से बचने के लिए भी कहा गया है. साथ ही उन्हें अपने परिसर में रहने उसके बाहर आवाजाही कम से कम करने की सलाह दी गई है.

बता दें कि बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में एक खास वर्ग को आरक्षण दिए जाने के खिलाफ छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान कई स्थानों पर हिंसा और तोड़फोड़ की खबर है. जिसके चलते भारतीय उच्चायोग ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइटरी जारी करनी पड़ी है.

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भारतीय उच्चायोग ने क्या दी सलाह

ढाका में भारतीय उच्चायोग ने एक सलाह में कहा, "बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति को देखते हुए, बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय समुदाय के सदस्यों और भारतीय छात्रों को यात्रा से बचने और अपने रहने वाले परिसर के बाहर आवाजाही कम से कम करने की सलाह दी जाती है." इसके साथ ही कहा गया है कि  वे किसी भी तात्कालिकता या सहायता की आवश्यकता के मामले में, बांग्लादेश में भारतीय निवासियों से 24 घंटे के आपातकालीन नंबरों पर उच्चायोग और सहायक उच्चायोगों तक पहुंचने का आग्रह किया गया.

क्या है नौकरियों में आरक्षण का मामला

बता दें कि ये पूरा विरोध प्रदर्शन सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग को लेकर है. इस आरक्षण का विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि यह बांग्लादेश की सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों को अनुचित रूप से लाभ पहुंचाता है क्योंकि यह विशिष्ट समूहों के लिए पद आरक्षित करता है, जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले लोगों के वंशज भी शामिल हैं.

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बांग्लादेश के छात्रों ने गुरुवार को सिविल सेवा भर्ती नियमों के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी रखने की कसम खाई, साथ ही प्रधान मंत्री शेख हसीना की जैतून शाखा को खारिज कर दिया, जिसमें प्रदर्शनों में मारे गए छह लोगों के लिए न्याय का वादा किया था. बता दें कि इस आरक्षण के तहत 1971 में पाकिस्तान के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए लोगों के परिवारों को 30 फीसदी आरक्षिण देने का प्रावधान है.

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Source : News Nation Bureau

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