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अंतरिक्ष में भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स की ऐतिहासिक उड़ान, अपने नाम किया ये खास रिकॉर्ड

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने एक और उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है. 58 वर्षीय सुनीता विलियम्स ने 5 जून को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से नासा के अंतरिक्ष यात्री बैरी 'बुच' विल्मोर के साथ बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल पर उड़ान भरी.

Updated on: 06 Jun 2024, 10:06 AM

highlights

  • भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स ने रचा इतिहास
  • मिशन पर अंतरिक्ष यान उड़ाने वाली बनीं पहली महिला 
  • ओहियो में हुआ था विलियम्स का जन्म

 

New Delhi:

Sunita Williams News: भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने एक और उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है. 58 वर्षीय सुनीता विलियम्स ने 5 जून को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से नासा के अंतरिक्ष यात्री बैरी 'बुच' विल्मोर के साथ बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल पर उड़ान भरी, जिससे वे अंतरिक्ष में परीक्षण मिशन पर एक नए अंतरिक्ष यान को उड़ाने वाली पहली महिला बन गईं हैं. बता दें कि विलियम्स 2012 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा के दौरान अंतरिक्ष में ट्रायथलॉन पूरा करने वाले पहले व्यक्ति बने. विलियम्स अमेरिकी नौसेना अकादमी में प्रशिक्षण के बाद मई 1987 में अमेरिकी नौसेना में शामिल हुए. विलियम्स को 1998 में नासा द्वारा अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया था और उन्होंने दो अंतरिक्ष मिशनों - 2006 में अभियान 14/15 और 2012 में अभियान 32/33 - पर उड़ान भरी थी.

सुनीता विलियम्स ने रचा इतिहास

आपको बता दें कि सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर ने तीसरी बार अंतरिक्ष की यात्रा की है. इस बार उन्होंने बोइंग कंपनी के स्टारलाइनर यान का उपयोग करते हुए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) तक जाने वाले पहले सदस्य बनकर एक नया इतिहास रच दिया. विलियम्स ने इस उड़ान के साथ मिशन में शामिल होकर एक और मील का पत्थर स्थापित किया है.

वहीं बोइंग का 'क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन' कई बार की देरी के बाद आखिरकार फ्लोरिडा के 'केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन' से रवाना हुआ. इस मिशन के सफल प्रक्षेपण के साथ सुनीता विलियम्स ने इस प्रकार के मिशन पर जाने वाली पहली महिला के रूप में इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करा लिया है. इसके अलावा, इस मिशन की सफलता ने न केवल सुनीता विलियम्स की व्यक्तिगत उपलब्धियों को बढ़ाया है, बल्कि अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में नए मानक भी स्थापित किए हैं. उनकी उपलब्धि ने भारतीय समुदाय के साथ-साथ पूरे विश्व में प्रेरणा की एक नई लहर पैदा की है.

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कब होगी वापसी 

विलियम्स और विल्मोर की यात्रा में 25 घंटे लगने की उम्मीद है। अंतरिक्ष यान गुरुवार को अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचेगा. दोनों 14 जून को पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका के एक सुदूर रेगिस्तान में उतरने से पहले परिक्रमा प्रयोगशाला में एक सप्ताह से अधिक समय बिताएंगे और फिर से यान पर सवार होंगे.

सुनीता विलियम्स के पास है अनुभव
 
इसके साथ ही आपको बता दें कि नासा ने 1988 में सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चुना था और उन्हें दो अंतरिक्ष मिशनों का अनुभव है. उन्होंने एक्सपीडिशन 32 की फ्लाइट इंजीनियर और एक्सपीडिशन 33 की कमांडर के तौर पर काम किया था.
सुनीता की पहली यात्रा 

पहली अंतरिक्ष यात्रा एक्स्पीडिशन 14/15 के दौरान विलियम्स ने नौ दिसंबर 2006 को एसटीएस-116 के चालक दल के साथ उड़ान भरी थी और 11 दिसंबर 2006 को वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पहुंची। पहली अंतरिक्ष यात्रा में उन्होंने अंतरिक्ष में कुल 29 घंटे और 17 मिनट की चार बार चहलकदमी करने के साथ महिलाओं के लिए विश्व रिकॉर्ड बनाया। इसके बाद अंतरिक्ष यात्री पेग्गी व्हिटसन ने अंतरिक्ष में कुल पांच बार चहलकदमी कर 2008 में यह रिकॉर्ड तोड़ दिया था। 

ओहियो में हुआ था विलियम्स का जन्म

विलियम्स का जन्म यूक्लिड, ओहियो में भारतीय-अमेरिकी न्यूरोएनाटोमिस्ट दीपक पंड्या और स्लोवेनियाई-अमेरिकी उर्सुलाइन बोनी पंड्या के घर हुआ था. उन्होंने अमेरिकी नौसेना अकादमी से भौतिकी में स्नातक की डिग्री और फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग प्रबंधन में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की है.