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रूसी सेना में भारतीयों की 'फर्जी' भर्ती पर रूस ने कार्रवाई का भरोसा दिया

दो दिवसीय दौरे पर मॉस्को में मौजूद पीएम मोदी ने पुतिन की ओर से आयोजित डिनर पार्टी में इस मुद्दा को गंभीरता से उठाया. इस पर रूस ने सहमति जताते हुए सभी भारतीयों को छुट्टी देने और उनकी वापसी की सुविधा देने का आश्वासन दिया.

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Prashant Jha
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भारतीय और रूसी दूतावास के अधिकारी( Photo Credit : सोशल मीडिया)

रूसी सेना में भारतीयों की भर्ती नहीं होगी. भारत स्थित रूस के दूतावास ने रूसी सेना में भारतीयों की भर्ती से संबंधित चिंताओं को संबोधित किया. रूस के चार्ज डी'अफेयर्स रोमन बाबुश्किन ने कहा कि रूस इस मामले में भारतीय सरकार के रुख के साथ है. बाबुश्किन ने स्वीकार किया कि रूसी सेना में 100 से अधिक भारतीय भर्ती हैं, लेकिन स्पष्ट किया कि वे किसी संघर्ष क्षेत्र में शामिल नहीं हैं.बाबुश्किन ने कहा, "हम उन्हें नहीं चाहते, और हम उन एजेंटों की जांच कर रहे हैं जिन्होंने उन्हें भर्ती किया और धोखा दिया. रूस से भी एजेंटों की जांच हो रही है. रूस में सभी भारतीय नागरिक पर्यटक या व्यवसाय वीजा पर हैं, और हमारी सेना में भारतीय या अन्य विदेशी नागरिकों की भर्ती का कोई तंत्र नहीं है.

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" चार्ज डी'अफेयर्स ने आगे कहा कि ऐसे किसी भी भर्ती के लिए रूसी सेना ने भारतीयों के लिए विज्ञापन नहीं निकाला. ये लोग एजेंड के जरिए या तो टूरिस्ट वीजा या बिजनेस वीजा पर आए.  उन एजेंटों के खिलाफ विशेष जांच चल रही है जिन्होंने भारतीयों को पैसे का वादा करके धोखाधड़ी से भर्ती किया है. साथ हीं ऐसे एजेंट के खिलाफ कड़ी कारवाई का भी भरोसा दिया.

डिनर पार्टी में पुतिन के सामने पीएम मोदी ने उठाया ये मुद्दा

सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने यह मामला राष्ट्रपति पुतिन के साथ एक निजी बैठक में उठाया. पीएम मोदी द्वारा इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं को व्यक्त करने के बाद, रूस ने सेना में सेवा कर रहे भारतीयों को मुक्त करने और उनकी वापसी की सुविधा देने पर सहमति व्यक्त की है. यह लंबे समय से एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है, क्योंकि लगभग दो दर्जन भारतीयों को कथित रूप से यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए रूसी सेना में भर्ती किया गया था. बताया गया कि इन लोगों को एजेंटों ने मोटी सैलरी नौकरी का वादा करके धोखा दिया था.

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इस साल की शुरुआत में, एक व्यापक रूप से प्रसारित वीडियो में पंजाब और हरियाणा के पुरुषों को सेना की वर्दी में दिखाया गया, जिन्होंने दावा किया कि उन्हें यूक्रेन संघर्ष में भाग लेने के लिए गुमराह किया गया था. उन्होंने भारतीय सरकार से मदद की गुहार लगाई. मार्च में, सरकार ने तेजी से कार्रवाई करते हुए इस मुद्दे को रूसी अधिकारियों के साथ जोरदार तरीके से उठाया और उनकी रिहाई में तेजी लाने के लिए कहा. उन्होंने उन एजेंटों और व्यक्तियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की भी घोषणा की जिन्होंने इन लोगों को गलत तरीके से भर्ती किया था.

Source : Madhurendra Kumar

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