शीर्ष भारतीय-अमेरिकी डेमोक्रेटिक सांसद ने जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति और नागरिकता संशोधन विधेयक पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भारत की ताकत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र है, जिसका प्रमुख पहलू अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा करना है.
शीर्ष सीनेटर एमी बेरा ने कहा, ‘‘ भारत की ताकत धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र है और धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र होने का मतलब है अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना. महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू का भी यही नजरिया था.’’ भारत में विवादित नागरिकता संशोधन विधेयक के लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने के बाद बेरा ने यह बयान दिया है. इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी - हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि हाल ही के कुछ हफ्तों, कुछ महीनों में भारत और अमेरिका ने कश्मीर जैसे मुद्दों पर ही अपना समय लगाया है. उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि कुछ ऐसे कदम हैं जो सही दिशा में आगे बढ़े.’’
गौरतलब है कि भारत सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाकर उसे एक केन्द्र शासित प्रेदश बनाने की घोषणा की थी. पाकिस्तान ने इस पर कड़ा विरोध जाहिर करते हुए, द्विपक्षीय संबंधों को कमतर कर भारतीय दूत को निष्कासित कर दिया था. वहीं भारत लगातार यह कहता रहा है कि यह स्पष्ट रूप से उसका आंतरिक मामला है. बेरा ने कहा कि भारत की ताकत धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र है.
उन्होंने कहा, ‘‘ जैसा कि मैंने हाल के दिनों में कहा है कि भारत की ताकत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र है. यदि आप राष्ट्र की स्थापना की बात करेंगे तो यह भी धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र होने के मूल्यों पर हुई. इस पहचान को कायम रखना बेहद आवश्यक है.’’ साथ ही उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की ताकत अल्पसंख्यक समूह के अधिकारों की रक्षा करना है. भाषा निहारिका गोला गोला
Source : Bhasha