रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर निकाले जाने के मामले में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की निंदा के खिलाफ भारत ने करारा जवाब दिया है। इसके साथ ही भारत ने देश में बुनियादी मौलिक अधिकार के लिए लड़ रहे लोगों की जिंदगी पर मंडरा रहे खतरे के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत के प्रतिनिधि सैय्यद अकबरुद्दीन ने कहा, 'अगल-अगल घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर सामाजिक ट्रेंड के तौर पर दिखाया जा रहा है। भारत को अपने स्वतंत्र न्यायपालिक, प्रेस की आजादी, गतिशील सिविल सोसाएटी, मानवाधिकार औऱ कानून के प्रति शासन पर गर्व है।'
पिछले हफ्ते म्यांमार की प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के बाद भारत सरकार ने देश में रहे सभी रोहिंग्या मुसलमानों को बाहर निकाले जाने की बात कही है। भारत में करीब 40,000 रोहिंग्या रह रहे हैं और इनमें से 16,000 को रिफ्यूजी का दर्जा मिला हुआ है।
अकबरुद्दीन ने कहा कि मानवाधिकार परिषद ने ''आतंकवाद की केंद्रीय भूमिका" को नजरअंदाज किया। उन्होंने कहा कि भारत अवैध माइग्रेंट को लेकर चिंतित रहा है लेकिन साथ ही वह सुरक्षा को लेकर भी चिंतित रहा है।
अकबरुद्दीन ने कहा, 'मानवाधिकार का आकलन राजनीतिक सहूलियत से नहीं होना चाहिए। हम मानते हैं कि मानवाधिकार को हासिल करने का मकसद निरपेक्ष होना चाहिए और इसका आधार निर्णय और तार्किकता के साथ तथ्यों पर आधारित होना चाहिए।'
Believe achieving human rights goals calls for objective consideration, balanced judgements & verification of facts:India's Permnt Rep to UN
— ANI (@ANI) September 12, 2017
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकर परिषद की 36वीं बैठक को संबोधित करते हुए जैद राद अल हुसैन ने रोहिंग्या को बाहर निकाले जाने की कोशिशों की कड़ी निंदा की थी। उन्होंने कहा था कि भारत रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर नहीं निकाल सकता।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ चलाए जा रहे क्रूर और दमनकारी सैन्य अभियान को लेकर म्यांमार की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए भारत से इन मुसलमानों को बाहर निकाले जाने की कोशिश पर दुख जताया है।
मानवाधिकार परिषद ने कहा पिछले महीने रोहिंग्या विद्रोहियों के हमले को 'बढ़ा-चढ़ाकर' पेश किया गया। इसके साथ ही मानवाधिकार परिषद ने भारत में रह रहे रोहिंग्या को देश से बाहर निकाले जाने की कोशिश की आलोचना की है।
UN मानवाधिकर परिषद में भारत की निंदा, मौजूदा स्थिति में रोहिंग्या मुस्लिमों को निकालना ठीक नहीं
अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रति भारत की जवाबदेही को याद दिलाते हुए उन्होंने कहा, 'भारत सभी लोगों को सामूहिक तौर पर नहीं निकाल सकता और नहीं वह उन लोगों को वहां वापस जाने के लिए भेज सकता जहां उन्हें उत्पीड़न और गंभीर किस्म का खतरा हो सकता है।'
म्यामांर के राखाइन प्रांत में जारी सांप्रदायिक हिंसा की वजह से अब तक करीब 3 लाख से अधिक लोगों को देश छोड़कर बांग्लादेश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
इस बीच रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर गृह मंत्री राजनाथ सिंह कहा है कि रोहिंग्या मुसलमान शर्णार्थियों के गैरकानूनी तरीके से भारत में आने पर देश की सुरक्षा को खतरा होने से इनकार नहीं किया जा सकता।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, मानवता के तहत अपने देश में हम शरणार्थियों को जगह देते हैं लेकिन गैरकानूनी अप्रवास के सख्त खिलाफ हैं और जो भी गैर कानूनी तरीके से भारत में धुसने की कोशिश करेगा या शरण लेगा उसके खिलाफ सरकार कार्रवाई करेगी।
रोहिंग्या मुसलमानों को अवैध रूप से भारत में शरण लेने से रोकने के लिए गृह मंत्रालय ने भारत-म्यांमार पर सीमा पर चौकसी बढ़ा दी है और वहां रेड अलर्ट घोषित कर दिया है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं रोहिंग्या मुसलमान
HIGHLIGHTS
- रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर निकाले जाने के मामले में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की निंदा के खिलाफ भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है
- इसके साथ ही भारत ने देश में बुनियादी मौलिक अधिकार के लिए लड़ रहे लोगों की जिंदगी पर मंडरा रहे खतरे के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है
Source : News Nation Bureau