भूटान और चीन ने गुरुवार को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसे उन्होंने भूटान-चीन सीमा वार्ता में तेजी लाने के लिए "तीन-चरणीय रोडमैप" कहा. भूटान के अनुसार वार्ता दोनों पक्षों को नई गति प्रदान करेगा और वार्ता को एक सफल निष्कर्ष पर ला सकता है. एमओयू ऐसे समय में आया है जब पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध को हल करने के लिए चीन के साथ भारत की अपनी बातचीत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच रही है. भारत की तरह, भूटान का भी चीन के साथ एक सीमा विवाद है, दोनों ने 1984 से अब तक 24 दौर की सीमा वार्ता कर चुके हैं, आखिरी बार 2016 में जब उन्होंने ये सीमा वार्ता की थी तो उसके कुछ दिनों बाद ही 2017 में भारत का चीन से डोकलाम विवाद हुआ था.
भारत भूटान और चीन के बीच सभी सीमा संबंधों का बारीकी से पालन करता है क्योंकि विवादित क्षेत्रों पर चीनी दावों का नई दिल्ली के लिए गंभीर सुरक्षा निहितार्थ है. चीन-भूटान सीमा वार्ता पर विदेश मंत्रालय ने बहुत ही सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत दोनों देशों की समझौता वार्ता पर नजर रखे है.
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से जब पूछा गया कि क्या भूटान ने भारत को एमओयू के बारे में सूचित किया है या नहीं. तब उन्होंने कहा कि “भूटान और चीन के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर पर हमारी नजर है. आप जानते हैं कि भूटान और चीन 1984 से सीमा वार्ता कर रहे हैं. इसी तरह, भारत चीन के साथ सीमा वार्ता कर रहा है."
HIGHLIGHTS
- चीन-भूटान 1984 से अब तक 24 दौर की सीमा वार्ता कर चुके हैं
- भूटान और चीन ने गुरुवार को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
- भारत दोनों देशों की समझौता वार्ता पर नजर रखे है