भारत में रूस के राजदूत निकोलाय कुदाशेव ने कहा है कि उन्हें इसी सप्ताह जम्मू-कश्मीर की दो दिवसीय यात्रा पर गए राजनयिकों के समूह का हिस्सा बनने के लिये भारत सरकार की ओर से निमंत्रण नहीं मिला था. उन्होंने पत्रकारों से कहा, ''मुझे इस टीम का हिस्सा बनने का आधिकारिक निमंत्रण नहीं मिला. यह निजी यात्रा नहीं थी. मेरे साथियों (अन्य राजनयिकों) को निमंत्रण मिला था. यात्रा करना उनका स्वतंत्र फैसला था. यदि मुझे (निमंत्रण) मिलता तो मैं उसपर विचार करता है.''
भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर समेत 15 राजनिक का एक समूह इसी सप्ताह जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर गया था, जहां उन्होंने चुनिंदा राजनीतिक प्रतिनिधियों, नागरिक समाज के सदस्यों के साथ-साथ सेना के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी.
5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के बाद विदेशी राजनयिकों की पहली ऐसी यात्रा के तहत इस शुक्रवार को अमेरिका समेत 15 देशों के दूतों ने जम्मू कश्मीर की नागरिक संस्थाओं के सदस्यों से बातचीत की और इस दल को मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम और पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय दल ने स्थिति से अवगत कराया. यह विदेशी दल बृहस्पतिवार को कश्मीर घाटी पहुंचा था, जहां उसने चुनिंदा राजनीतिक प्रतिनिधियों, नागरिक संस्थाओं के सदस्यों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ बातचीत की.
सरकार ने यह आलोचना नकार दी है कि यह निर्देशित यात्रा है. भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ जस्टर दिल्ली के उन विदेशी राजदूतों में शामिल थे जिन्होंने श्रीनगर में करीब सात घंटे बिताए. पिछले वर्ष अक्टूबर में यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने श्रीनगर की यात्रा की थी लेकिन दूतों को अब तक घाटी में नहीं जाने दिया गया था. अधिकारियों ने बताया कि मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक की अगुवाई में एक सरकारी दल शुक्रवार सुबह पहुंचा और विदेशी प्रतिनिधिमंडल को अनुच्छेद 370 को हटाने और दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद की सुरक्षा स्थिति के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया.
अधिकारियों के अनुसार उसके बाद पश्चिम पाकिस्तान के शरणार्थियों, वाल्मीकि समाज, गुज्जरों और वकीलों के प्रतिनिधियों समेत विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों के साथ विदेशी दल की बैठक हुई. वित्त आयुक्त (स्वास्थ्य) अतुल डूल्लू ने विदेशी दल को सरकार द्वारा तैयार स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में बताया और इस क्षेत्र का एक परिदृश्य पेश किया. विदेशी दल का दोपहर बाद जम्मू शहर के बाहरी क्षेत्र जगती के सबसे बड़े कश्मीरी प्रवासी शिविर जाने और वहां लोगों के साथ बातचीत करने का कार्यक्रम है.
विदेशी दूत बृहस्पतिवार शाम को नवगठित केंद्रशासित प्रदेश की शीतकालीन राजधानी जम्मू पहुंचे थे. उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने उन्हें रात्रिभोज दिया था और उनके साथ बातचीत की थी. अधिकारियों के अनुसार उससे पहले उन्हें चार्टर्ड विमान से यहां तकनीकी हवाई अड्डा लाया गया था. वहां से सीधे उन्हें सैन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए सैन्य छावनी ले जाया गया. इस बार हड़ताल का आह्वान नहीं किया गया था. दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुले थे और यातायात सामान्य था.
अक्टूबर में यूरोपीय संसद के प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान ऐसी स्थिति नहीं थी. वह यात्रा एक एनजीओ ने करवायी थी. अधिकारियों के अनुसार विदेशी प्रतिनिधिमंडल के साथ विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप भी थे. उस प्रतिनिधिमंडल को लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों की अगुवाई में शीर्ष सैन्य अधिकारियों के एक दल ने सुरक्षा स्थिति के बारे में बताया. ढिल्लो कश्मीर में सामरिक रूप से स्थित पंद्रहवीं कोर के प्रमुख हैं.
विदेशी प्रतिनिधिमंडल की यह यात्रा कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के दुष्प्रचार को गलत साबित करने के भारत सरकार के राजनयिक संपर्क कार्यक्रम का हिस्सा है. जम्मू में शाम को मुर्मू उनका स्वागत करेंगे. इस प्रतिनिधिमंडल में अमेरिका के अलावा बांग्लादेश, वियतनाम, नार्वे, मालदीव, दक्षिण कोरिया, मोरक्को, नाईजीरिया आदि के राजनियक हैं. वे शुक्रवार को दिल्ली लौट जायेंगे. पांच अगस्त के बाद किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल की यह दूसरी जम्मू कश्मीर यात्रा है. इससे पहले दिल्ली के थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर नन एलाइंड स्टडीज यूरोपीय संघ के 23 सांसदों को केंद्रशासित प्रदेश की स्थिति का जायजा लेने के लिए दो दिनों की यात्रा करायी थी.
Source : Bhasha