मंगलवार आधी रात के बाद ईरान ने इराक में मौजूद दो ठिकानों पर 22 मिसाइलें दागीं, जिसमें दावा है कि 80 लोग मारे गए. उधर इराक का दावा है कि ईरान की ओर से किए गए हमले में उसके किसी भी नागरिक या जवान की मौत नहीं हुई है. ईरान ने कोम शहर की ऐतिहासिक जामकरन मस्जिद (Historical Jamkaran Mosque) पर पिछले रविवार को लाल झंडा (Red Flag) फहराकर अपने इरादे पहले ही जाहिर कर दिए थे. इसे माना गया कि ईरान ने अपनी ओर से युद्ध का ऐलान कर दिया है. लाल झंडा बदले और खूनी जंग का संकेत होता है. बताया जा रहा है कि करबला में इमाम हुसैन की हत्या के बाद ऐसा ही झंडा फहराया गया था. यह इस बात का संकेत था कि इमाम हुसैन की हत्या का बदला लिया जाएगा. लाल झंडा अन्याय के खिलाफ आवाज का प्रतीक है. ईरान के सरकारी टेलीविजन ने इस झंडारोहण का प्रसारण भी किया था.
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सोशल मीडिया पर ईरान के लोगों की लाल झंडे को लेकर तमाम प्रतिक्रियाएं सामने आईं. सोशल मीडिया यूजर्स का मानना है कि यह फैसले और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है. अभी ईरान की सड़कों पर लोग अमेरिका के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर बदले की कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
हालांकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald Trump) ने ईरान को धमकाने के अंदाज में कहा था, ईरान की तरफ से हमला किए जाने की स्थिति में अमेरिका (America) करारा जवाब देगा. ट्रंप ने कहा था- अमेरिका के पास मौजूद आधुनिक हथियारों को ईरान झेल नहीं पाएगा.
ट्रंप ने कहा था, अमेरिका ने ईरान के 52 ठिकानों को निशाना बनाने की तैयारी कर रखी है. दरअसल 1979 में अमेरिकी दूतावास से ईरान ने 52 अमेरिकियों को बंदी बना लिया था. इनको छुड़ाने में अमेरिका को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। 52 की उसी संख्या का जिक्र करते हुए ट्रंप ने इस हमले की बात की.
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अमेरिका ने ईरान से तनाव के बीच मध्य-पूर्व इलाके में 3000 अतिरिक्त सैनिकों को भेजने का फैसला किया है. मध्य पूर्व में अमेरिका के पहले से ही 14 हजार सैनिक तैनात थे. अभी ईरान की सेना में लगभग 5 लाख 20 हजार सक्रिय सैनिक और ढाई लाख अन्य सैनिक हैं.
Source : News Nation Bureau