ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने रविवार को देश के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित चाबहार नगर के शाहिद बहेश्ती बंदरगाह के प्रथम चरण का उद्घाटन किया।
चाबहार बंदरगाह खुलने के बाद भारत के लिए अब पाकिस्तान के बाहर से ईरान और अफगानिस्तान तक जल परिवहन का मार्ग सुगम हो गया है। यह जलमार्ग भारत, ईरान और अफगानिस्तान के मध्य नया रणनीतिक जल मार्ग होगा।
इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज एजेंसी (आईआरएनए) के मुताबिक ईरान के दक्षिण-पूर्व में सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत स्थित बंदरगाह के उद्घाटन समारोह में 17 देशों के 60 विदेशी मेहमानों ने शिरकत की थी।
चाबहार बंदरगाह का शुरू हो जाना हमारे पडो़सी देश पाकिस्तान के रणनीतिक तौर पर बड़ा झटका है क्योंकि इस चाबहार की वजह से बंदरगाह की क्षमता तीन गुणा बढ़ जाएगी। पाकिस्तान में बन रही ग्वादर बंदरगाह के लिए यह एक बड़ी चुनौती बनेगा। ग्वादर बंदरगाह का निर्माण चीन कर रहा है।
ओमान सागर में अवस्थित यह बंदरगाह प्रांत की राजधानी जाहेदान से 645 किलोमीटर दूर है और मध्य एशिया व अफगानिस्तान को सिस्तान-बलूचिस्तान से जोड़ने वाला एक मात्र बंदरगाह है।
रूहानी ने कहा, 'हम इस बात से प्रसन्न हैं कि अफगानिस्तान को गेहूं की पहली खेप ईरान से होकर गई है।' राष्ट्रपति ने कहा कि शाहिद बहेश्ती बंदरगाह प्रांत के लिए एक नया विकास का चरण है। इस बंदरगाह की क्षमता 85 लाख टन है।
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गौरतलब है कि भारत ने अफगानिस्तान को 40 हजार टन गेहूं भेजा है जिसका शिपमेंट ईरान से होकर हुआ है।
इस बंदरगाह के उद्घाटन से पूर्व शनिवार को भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अचानक ईरान पहुंची और वहां अपने समकक्ष जावेद जरीफ से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच अन्य मसलों के साथ-साथ चाहबहार बंदरगाह परियोजना को लेकर भी बातचीत हुई।
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जरीफ ने कहा कि इस बंदरगाह से ईरान और भारत के बीच आपसी सहयोग में मजबूती आएगी। उन्होंने क्षेत्र के विकास में इस बंदरगाह की अहमियत और ओमान सागर और हिंद महासागर क जरिये मध्य एशिया के देशों को दुनिया के अन्य देशों से जोड़ने वाले इस मार्ग के बारे में बताया।
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Source : News Nation Bureau