ईरान परमाणु समझौते पर ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ ने कहा है कि भारत परमाणु समझौते के अनुपालन में अमेरिका को वापस लाने में मुख्य भूमिका निभा सकता है, अगर भारत ऐसा करता है तो हम उस संभावना को अस्वीकार नहीं करेंगे. भारत ईरान का बहुत प्रिय मित्र है और अमेरिका के साथ उसके अच्छे संबंध हैं, यह अमेरिका को समझौते की मेज पर आने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है.
Iran Foreign Minister Javad Zarif on Iran nuclear deal: India can play a leading role in bringing US back into compliance with agreement&we'll not reject that possibility.India is a very dear friend of Iran&has good relations with US,it can encourage US to come back to the table. pic.twitter.com/fPTcX86DR4
— ANI (@ANI) January 17, 2020
ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने शुक्रवार को कृषि क्षेत्र में भारत के साथ वस्तु के बदले वस्तु (बार्टर) व्यापार प्रणाली अपनाए जाने की वकालत की. साथ ही उन्होंने भारतीय बैंकों की ईराम में शाखाएं खोलने का भी सुझाव दिया ताकि ईरानी कंपनियां रुपये और रियाल में कारोबार कर सकें. जरीफ ने यह भी कहा कि भारत को ईरान जैसा भरोसेमंद तेल आपूर्तिकर्ता नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि दोनों देशों को अमेरिकी डॉलर के दबदबे को खत्म करने के लिये अपनी-अपनी मुद्राओं में कारोबार करना चाहिए. उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने ईरान पर आर्थिक पाबंदी लगा रखी है. अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के साथ उन्होंने यह बात कही.
ईरान के सैन्य कमांडर कासीम सुलेमानी की हत्या के बाद दोनों देशों के बीच तनाव है. जरीफ ने कहा, 'एक बाधा अमेरिकी डॉलर में मूल्य ह्रास है. 70 के दशक से अमेरिका डॉलर का कोई विकल्प नहीं है. अमेरिका को अपनी मुद्रास्फीति को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि दुनिया के अन्य देश उसका भुगतान कर रहे हैं. इसका कारण अमेरिकी डॉलर का दबदबा होना है. उन्होंने कहा, 'अमेरिका अपनी मुद्रा को हथियार के रूप में उपयोग करता है...हमें इस पर आश्रित नहीं होना चाहिए.'
जरीफ ने कहा कि भारत और ईरान को अपनी मुद्राओं में एक-दूसरे के साथ कारोबार करने की जरूरत है ताकि अगर ईरान भारत में कोई उत्पाद बेचता या खरीदता है तो उसे भुगतान के लिये डॉलर की जरूरत न पड़े. मंत्री ने कहा, 'हम रुपये का उपयोग कर सकते हैं. हमारा भारत सरकार के साथ रुपया और ईरानी रियाल के उपयोग को लेकर समझौता है. लेकिन हमें इसे अपने लेन-देन में आर्थिक रूप से व्यवहारिक बनाने की जरूरत है.'
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उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों में उनके बैंकों की शाखाएं होनी चाहिए. जरीफ ने कहा कि ईरान के एक प्रमुख निजी बैंक को भारत सरकार से 2-3 साल के गहन कार्य के बाद मुंबई में शाखा खोलने की मंजूरी मिली है. उन्होंने कहा कि ईरान शुरूआती पूंजी को लेकर भारत के साथ समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है.
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उन्होंने कहा, 'हम वस्तु के बदले वस्तु व्यापार शुरू कर सकते हैं. हमें कई ऐसे सामान की जरूरत है जो भारत उत्पादित करता है और भारत हमसे फल और सब्जियां ले सकता है. हमें कृषि के अलावा अन्य क्षेत्रों में इस प्रकार के व्यापार की जरूरत नहीं है.' जरीफ ने यह भी कहा कि ईरान ऊर्जा का भरोसेमंद स्रोत है और किसी अन्य देश पर आश्रित नहीं है.