नर्गिस मोहम्मदी वो पत्रकार और एक्टिविस्ट हैं, जिन्होंने ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ बड़ी जंग लड़ी है. आज उन्हें उनके इस महान कार्य की वजह से नोबेल पीस प्राइज से सम्मानित किया गया है. बता दें कि नर्गिस ने करीब-करीब अपनी पूरी जिंदगी दूसरों को हक दिलवाने की लड़ाई में काट दी है. उन्हें सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए 10 से ज्यादा बार गिरफ्तार किया गया. न सिर्फ इतना, बल्कि 31 साल जेल में सजा काटने के साथ-साथ, उन्हें 154 कोड़े खाने की सजा दी गई थी...
नर्गिस मोहम्मदी अभी भी कैद में हैं. वो कई दफा कैदियों की आवाज बनीं हैं. उन्होंने वहां कैदियों के अधिकारों की वकालत करते हुए, मौत की सजा खत्म करने को कहा है. उन्होंंने एक किताब भी लिखी है, जो महिलाओं की आजादी और उनके हक के लिए आवाज उठाती है. इस किताब का नाम व्हाइट टॉर्चर है, जिसे दुष्प्रचार करार देते हुए ईरानी पुलिस ने उन्हें कई बार पकड़ा है.
वहीं नर्गिस मोहम्मदी को नोबेल पीस प्राइज दे रही नोबेल कमेटी का मानना है कि, नर्गिस एक निडर पत्रकार और एक्टिविस्ट हैं, जो बेखौफ ईरानी महिलाओं के लिए आवाज उठाती आई हैं. बता दें कि इससे पूर्व साल 2022 में भी उन्हें रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के साहस पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.
ये है संघर्षों भरा सफर
उन्होंने फिजिक्स से पढ़ाई की, फिर बतौर इंजीनियर अपना करियार चुना. इसके बाद उन्होंने 1990 के दशक में महिलाओं के अधिकारों और मानवअधिकारों के लिए अखबारों में लिखना शुरू किया. उनके यही काम ईरानी सरकार की आंख में चुभने लगे, फिर साल 2011 में उन्हें पहली बार गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि इससे उनके काम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, वो न तो रूकी और न डरी, बल्कि और मजबूती से आगे बढ़ती रहीं.
बावजूद इसके ईरानी सरकार ने उन्हें रोकने के कई हतकंडे अपनाएं और आखिरकार कैदियों के परिवारों की मदद करने का आरोप लगाते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया. हालांकि कुछ साल बाद उन्हें फिर जेल मिली, मगर फिर 2015 में वो गिरफ्तार हो गई. ऐसे करते-करते उन्हें करीब 11 बार गिरफ्तार किया गया.
Source : News Nation Bureau