यूं तो रूस हमेशा से भारत का पुराना और भरोसेमंद दोस्त रहा है और उसने समय आने पर यह दोस्ती निभाई भी है. लेकिन इन दिनों उसका रुख कुछ बदला-बदला नजर आ रहा है. ऐसा हमें हाल ही में उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुए शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ में देखने को मिला. दरअसल, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने यहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ द्विपक्षीय बैठक की. इस दौरान पुतिन ने कहा कि रूस पाकिस्तान को गेहूं और गैस उपलब्ध करा सकता है. क्योंकि पाकिस्तान में हालात पहले से ही खराब हैं और अब बाढ़ ने वहां स्थति और ज्यादा बिगाड़ दी है. ऐसे में पाकिस्तान के मानवता के आधार पर गेहूं की मदद करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन गैस सप्लाई की बात भारत को जरूर असहज करती है. क्योंकि पाक पीएम के साथ वार्ता में पुतिन ने पाकिस्तान को गैस सप्लाई के लिए एक नई इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट की बात है, इसलिये भारत के लिए यह स्थति और भी ज्यादा गंभीर हो जाती है.
TAPI पाइपलाइन का जिक्र नहीं
दरअसल, रूस ने यहां तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (TAPI) पाइपलाइन का जिक्र नहीं किया है, बल्कि पाकिस्तान के लिए वाया कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान एक अलग से पाइप लाइन का जिक्र किया है. पुतिन ने कहा कि कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान तक तो पहले से ही गैस लाइन मौजूद है. यह बात सुनने में जितनी आसान लग रही है, वास्तव में उतनी है नहीं. ऐसे में हमें यह समझने की जरूरत हैं कि रूस आखिर कर क्या रहा है. विदेशी मामलों की समझ रखने वालों की मानें रूस भारत और पाकिस्तान दोनों को साधने का प्रयास कर रहा है. ठीक वैसे ही जैसे भारत अमेरिका और रूस के बीच संतुलन बिठाने के लिए कर रहा है. अब हमें समझने की जरूरत है कि रूस आखिर ऐसा कर क्यों रहा है. जानकारों की मानें तो एससीओ के मंच पर प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन से युक्रेन युद्ध से बाहर आने की बात कही थी. पीएम मोदी ने कहा था कि यह युग युद्ध का नहीं है.
आखिर क्या चाहता है रूस
हालांकि पुतिन ने उस समय पीएम मोदी के साथ सहमति जताते हुए भारत की चिंताओं कर गौर करने की बात कही थी. लेकिन भारत के इस बयान को कहीं न कहीं अमेरिका और यूक्रेन के पक्ष और रूस के खिलाफ माना गया. ऐसे में यह भी हो सकता है कि रूस ने पाकिस्तान से नजदीकि दिखाते हुए भारत को उसकी गलती का अहसास कराया हो. क्योंकि दुनिया जानती है कि पाकिस्तान भारत की दुखती रग है. तो हो सकता है कि रूस ने यह दिखाने का प्रयास किया हो कि अगर भारत अमेरिका को साधना चाहता है तो फिर रूस के पास भी विकल्प मौजूद हैं. हालांकि अभी तक यह केवल अटकलें हैं, लेकिन भारत को रूस की पाकिस्तान से नजदीकि की वजह और उसका समाधान दोनों ही खोजने होंगे.
Source : Mohit Sharma