डी-कंपनी और आईएसआई के बीच सांठगांठ को दुनिया के सामने आने से बचाने के लिए, पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारी ने कथित रूप से एफबीआई के एक गवाह पर दबाव बनाया. जिसके फलस्वरूप वह अपने बयान से पलट गया और लंदन में हाई प्रोफाइल प्रत्यर्पन मामले में दाऊद के फाइनेंसर जाबिर मोतीवाला के लिए जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ कर दिया. बीते सप्ताह अमेरिका ने जाबिर के खिलाफ प्रत्यर्पण केस में मामला वापस ले लिया था, जिससे भारत के सबसे बड़े वांछित दाऊद को बड़ी राहत मिली थी. एफबीआई के मुखबिर और ड्रग रैकेट में दाऊद के फाइनेंसर मोतीवाला को फंसाने वाले पाकिस्तानी-अमेरिकी कामरान फरीदी मामले में महत्वपूर्ण गवाह था, जिसे कथित तौर पर ब्रिटिश प्रत्यर्पण अदालत में आईएसआई के अधिकारियों द्वारा 'प्रभावित' किया गया था. इस वजह से दाऊद का दाहिना हाथ लंदन जेल से बाहर निकल सका.
भारतीय एजेंसियों के शीर्ष सूत्रों ने आईएएनएस को यह जानकारी दी. साथ ही यह बताया कि पाकिस्तानी प्रतिष्ठान ने कैसे डी-कंपनी को अमेरिकी अदालत में मुकदमे से बचा लिया. इससे पहले बहुत मजबूत सबूतों के आधार पर, लंदन की अदालत ने दाऊद के फाइनेंसर को अमेरिका में प्रत्यर्पित करने की मंजूरी दी थी. दाऊद के खिलाफ ड्रग्स और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित सभी आरोप कोर्ट में स्थापित किए गए थे. हालांकि, बाद में जब उच्च न्यायालय मामले को अंतिम रूप दे रहा था, मुख्य गवाह कामरान फरीदी ने यह खुलासा करते हुए सभी को चौंका दिया कि एक फर्जी ड्रग्स मामले में डी-कंपनी के वित्त प्रमुख जाबिर मोतीवाला को फंसाने के लिए एफबीआई में उनके आकाओं द्वारा दबाव डाला गया था. प्रधान गवाह फरीदी के पूर्ण यू-टर्न ने एफबीआई को शर्मिदा कर दिया, जिससे अंतत: दाऊद के सहयोगी के खिलाफ आरोप हट गए.
भारतीय खुफिया अधिकारियों ने कहा कि ड्रग रैकेट में दाऊद के फाइनेंसर मोतीवाला को फंसाने वाला पाकिस्तानी-अमेरिकी, कामरान फरीदी एक पूर्व एजेंट और एफबीआई का मुखबिर था, जिनकी वित्तीय स्थिति वर्तमान में अच्छी नहीं है. उससे कथित तौर पर आईएसआई के लोगों ने संपर्क किया और उसपर दबाव बनाया. उच्च न्यायालय में अंतिम सुनवाई के करीब आईएसआई के गेम प्लान का हिस्सा एक प्रमुख पाकिस्तानी अखबार ने कामरान फरीदी का बयान प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने खुलासा किया कि दाऊद के सहयोगी को उनके द्वारा झूठे मामले में फंसाया गया है. फरीदी ने पाकिस्तानी अखबार को यह भी बताया कि डी-कंपनी को जाल में फंसाने के लिए एफबीआई ने उसे मजबूर किया था.
भारजीय एजेंसी में एक आईपीएस अधिकारी ने खुलासा किया, "डी-कंपनी और आईएसआई ने कामरान फरीदी को प्रभावित करने के लिए मिलकर काम किया. उनके लिए फरीदी ही एकमात्र आशा थी, क्योंकि जबीर मोतीवाला लगभग केस हार गए थे. आईएसआई के गुर्गों ने फरीदी को जाबिर के बारे में अपने स्वयं के खुलासे पर पलटने को मजबूर कर दिया. हमें पता चला है कि शुरुआत में कराची में कामरान के रिश्तेदारों से संपर्क किया गया था. पाकिस्तानी उच्चायोग में कुछ अधिकारियों और लंदन स्थित एक प्रमुख पाकिस्तानी टीवी चैनल के पत्रकार ने भी कामरान फरीदी के दबाव वाले बयान को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई."
एक प्रमुख पाकिस्तानी समाचार चैनल, जियो टीवी ने दावा किया है, "मामले में सबसे महत्वपूर्ण हस्तक्षेप तब हुआ जब चैनल और उसके अंग्रेजी अखबार ने 19 मार्च, 2021 को एक कहानी प्रकाशित की जिसमें खुलासा हुआ कि संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के एक पूर्व मुखबिर को यूके के आव्रजन अधिकारियों ने यूके में प्रवेश करने से रोक दिया है, क्योंकि कामरान फरीदी उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी गवाही दर्ज करना चाहता था. एफबीआई के पूर्व एजेंट ने अदालत के समक्ष गवाही देना चाहा था कि वह जाबिर मोतीवाला मामले में प्रक्रिया के दुरुपयोग में शामिल था."
बरसों की जद्दोजहद के बाद, अमेरिका को जाबिर मोतीवाला के खिलाफ प्रत्यर्पण का अनुरोध वापस लेना पड़ा, जिसमें ड्रग तस्करी और दाऊद इब्राहिम के अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सौदें शामिल थे. 2018 में साइप्रस से लंदन के लिए उड़ान भरने वाले जाबिर को एफबीआई के अनुरोध पर स्कॉटलैंड यार्ड ने गिरफ्तार किया था. लंदन में प्रत्यर्पण ट्राइल के दौरान, एफबीआई के वकीलों ने अदालत को बताया था कि जाबिर मोतीवाला यूएई, ब्रिटेन और अन्य देशों में दाऊद इब्राहिम के धन का प्रबंधन कर रहा था.
HIGHLIGHTS
- अमेरिका ने जाबिर के खिलाफ मामला वापस लिया
- भारत के बड़े वांछित दाऊद को मिली थी राहत
- UAE, ब्रिटेन और कई देशों में दाऊद के पैसों का मैनेजमेंट देखता था जाबिर