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Israel Palestine War: क्या है फिलिस्तीन और इजराइल के बीच का विवाद? हिटलर से जुड़े हैं तार

Israel Palestine War: भूमध्य सागर और जॉर्डन नदी के बीच पड़ने वाला फलस्तीन मुसलमानों, यहूदियों और ईसाई धर्म के लिए पवित्र माना जाता था. इसलिए यहूदी बड़ी संख्या में जाकर फलस्तीन बस गए

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Mohit Sharma
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Israel Palestine War

Israel Palestine War( Photo Credit : News Nation)

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Israel Palestine War: चरमपंथी संगठन हमास ने शनिवार को गाजा पट्टी से सटे इजराइली शहरों पर 5000 हजार से ज्यादा रॉकेट दाग दिए और वहां अपने लड़ाकों को भेजकर कत्लेआम कराया. इस हमने में करीब 300 लोगों की मौत हो गई और 1100 लोग घायल हो गए. वहीं, इजराइल ने भी हमास पर जवाबी कार्रवाई की और गाजा पर हवाई हमले किए. इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शुरू युद्ध के बाद इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हम हमास के सभी ठिकानों को मिट्टी में मिल देंगे. 

हिटलर की तानाशाही से शुरू हुआ विवाद

20वीं सदी की शुरुआत में यूरोप में यहूदी बड़ी संख्या में रहते थे. लेकिन 1933 में एडोल्फ हिटलर जब जर्मनी का तानाशाह बना तो उसके शासनकाल में यहूदियों पर अत्याचार बढ़ गया. दरअसल,  एडोल्फ हिटलर ने यहां एक नस्लवादी साम्राज्य बनाया. उसके लिए यहूदी इंसानी नस्ल का हिस्सा ही नहीं थे.  इस अत्याचार से तंग आकर उनको मजबूरी में यूरोप छोड़कर भागना पड़ा. इस दौरान यहूदी अमेरिका, ब्रिटेनस दक्षिण अमेरिकास फ्रांस और फलस्तीन में जाकर बस गए. क्योंकि यरूशलम की वजह से फलस्तीन एक धार्मिक भूमि थी, इसलिए ज्यादार यहूदियों ने फलस्तीन जाना बेहतर समझा. हिटलर के समय में 60 लाख यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया गया, जिनमें से 15 लाख तो केवल बच्चे ही थे. ऐसे में यहूदियों ने जान बचाकर भागना ही ठीक समझा. बीसवीं सदी में करीब 75 हजार यहूदी फलस्तीन पहुंचे थे. 

फलस्तीन मुसलमानों, यहूदियों और ईसाई धर्म के लिए पवित्र स्थान

क्योंकि उस समय भूमध्य सागर और जॉर्डन नदी के बीच पड़ने वाला फलस्तीन मुसलमानों, यहूदियों और ईसाई धर्म के लिए पवित्र माना जाता था. इसलिए यहूदी बड़ी संख्या में जाकर फलस्तीन बस गए. हालांकि यहां के स्थानीय लोगों ने इनका विरोध किया. द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद यहूदियों की अपने लिए अलग मुल्क बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी. ऐसे में ब्रिटेन के नियंत्रण वाले फलस्तीन को फलस्तीनियों और यहूदियों के बीच बांट दिया गया और इस तरह से 14 मई 1948 को इजराइल देश की स्थापना हुई और संयुक्त राष्ट्र से भी इसको मान्यता मिल गई. इस तरह से वहां के स्थानीय निवासियों फलस्तीनियों के लिए संकट खड़ा हो गया. यहां यहूदी सशस्त्र बलों ने अपना प्रभाव जमाना शुरू कर दिया और साढ़े सात फलस्तीनियों को भागकर दूसरे देशों में शरण लेनी पड़ी. 

गाजा पट्टी 41 किलोमीटर एक लंबा इलाका

इस बीच यहूदियों और फलस्तीनियों में सबसे बड़ा विवाद यरूशलम को लेकर ऊभर कर आया. दोनों ने क्षेत्र यरूशलम पर अपना अधिकार मानते हैं औ दोनों ही इसकी अपनी-अपनी राजधानी बताते हैं. फलस्तीन के दो क्षेत्रों ( वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी ) में फलस्तीनी लोग बड़ा आबादी में रहते हैं. दोनों क्षेत्रों की दूरी लगभग 45 किलोमीटर है. गाजा पट्टी 41 किलोमीटर एक लंबा इलाका है, जिसके चौड़ाई केवल 6 से 13 किलोमीटर है. गाजा की 51 किलोमीटर लंबी सीमा इजराइल के साथ लगती है. फिलहाल गाजा पट्टी हमास के नियंत्रण में है. 

फलस्तीन और इजराइल के बीच विवाद

दरअसल. इजराइल का दावा है कि 1967 में उसके पूर्वी यरूशलम पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद से यह उसकी राजधानी है. जबकि फलस्तीनी पत्र पूर्वी यरूशलम को अपनी राजधानी बताता है. 

Source : News Nation Bureau

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