भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को दक्षिण पूर्व एशिया के तीन देशों (इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलयेशिया) के अपने दौरे के पहले पड़ाव इंडोनेशिया पहुंच गए हैं।
इस मुलाक़ात के दौरान भारत की नज़र इंडोनेशिया के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक संबंधों को मजबूत करना होगा।
वहीं इंडोनेशिया भारत से यह उम्मीद लगाए बैठा है कि भारत संयुक्त राष्ट्र के अस्थायी सदस्यों के लिए अगले महीने होने वाली चुनाव में उसकी उम्मीदवारी का समर्थन करेगा।
ऐसे में भारत के लिए मुश्किल यह है कि वह पहले ही मालदीव को अस्थायी सदस्यता के लिए साथ देने का वादा कर चुका है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र में इंडोनेशिया के लिए खुले तौर पर भारत का समर्थन कर पाना मुश्किल लगता है।
गौरतलब है कि हाल में हिंद महासागर में चीन ने जिस तरह से अपना दखल बढ़ाया है उसे देखते हुए मालदीव के साथ भारत के रिश्ते बेहतर होना ज़रूरी है। यह अलग बात है कि पिछले कुछ समय में भारत-इंडोनेशिया के संबंध बेहद नाजुक रहे हैं।
इस बारे में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को कहा था, 'पिछले कुछ वर्षों में मालदीव के साथ रिश्तों में उतार-चढ़ाव आया है। लेकिन मालदीव के साथ रिश्ते ना टूटे हैं और ना ही कभी टूट सकते हैं।'
भारत के लिए मुश्किल यह है कि एशिया महाद्वीप के लगभग सभी राष्ट्र इंडोनेशिया का समर्थन कर रहे हैं और जिस तरह से भारत ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी की बार- बार बात कर रहा है वह इंडोनेशिया के समर्थन के बिना नामुमकिन है।
भारत के लिए ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी कितना महत्वपूर्ण है इस बात का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पीएम मोदी ने अपने प्रस्थान से पहले सोमवार को नई दिल्ली में कहा था कि उन्हें पूरा भरोसा है कि इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर का उनका दौरा भारत की एक्ट ईस्ट नीति को और बढ़ावा देगा और तीनों देशों के साथ संबंधों और आदान-प्रदान में तेजी आएगी।
बता दें मोदी इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो के साथ 30 मई को द्विपक्षीय शिखर बैठक करेंगे। वह इंडोनेशिया में भारतीय समुदाय के लोगों को भी संबोधित करेंगे।
मोदी 31 मई को इंडोनेशिया से सिंगापुर जाते समय रास्ते में संक्षिप्त समय के लिए मलेशिया में रुकेंगे और नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद से मुलाकात करेंगे।
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Source : News Nation Bureau