पाकिस्तान में पत्रकारों का कहना है कि देश में मीडिया को कभी भी स्वतंत्रता हासिल नहीं रही और स्थिति यह है कि स्वतंत्र विचारों की अभिव्यक्ति को गद्दारी कह दिया जा रहा है. दिग्गज शायर फैज अहमद फैज के नाम पर लाहौर में मनाए गए फैज इंटरनेशनल फेस्टिवल में पत्रकारिता पर आयोजित सत्र 'इन्डिपेंडेंट जर्नलिज्म इन एरा ऑफ रेस्ट्रिक्टेड जर्नलिज्म' में पत्रकारों ने पाकिस्तान में मीडिया सेंसरशिप पर अफसोस जताते हुए कहा कि देश में मीडिया को कभी स्वतंत्रता नसीब नहीं हुई.
उन्होंने कहा कि सच की तलाश कर इसे बढ़ावा देना मुश्किल काम है, लेकिन पाकिस्तानी मीडिया को इसी रास्ते पर चलने की जरूरत है. पत्रकार नसीम जेहरा ने कहा कि देश में मस्तिष्क पर कंट्रोल करने की कोशिश की गई और स्वतंत्र विचार को गद्दारी करार दिया गया. उन्होंने बताया कि जिस चैनल में वह काम करती हैं, उसका प्रसारण दो बार रोका गया और यह भी पता नहीं चला कि किसने ऐसा करवाया क्योंकि किसी ने भी इसकी जिम्मेदारी नहीं ली.
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के आज के दौर में जहां सभी कुछ लोगों के बीच मौजूद है, इस दौर में मीडिया को खामोश करवाने के पीछे भला क्या तर्क हो सकता है. उन्होंने कहा, "आप सोच को ब्लॉक नहीं कर सकते."
वरिष्ठ पत्रकार वसतउल्ला खान ने कहा कि सेंसरशिप और पाबंदियां एक तरह का 'फाइन आर्ट' बन गई हैं जिसमें किसी को यह नहीं पता चल पाता कि कौन क्या कर रहा है या करवा रहा है. उन्होंने सत्ता पक्ष की हां में हां मिलाने वाली पत्रकारिता की आलोचना करते हुए कहा कि 'मौजूदा पत्रकारिता राग दरबारी में गा रही है.'
पत्रकार वजाहत मसूद ने कहा कि सत्ता के पक्षधर पत्रकारों के साथ-साथ देश में हमेशा से स्वतंत्र पत्रकार भी रहे हैं और यह सभी लगातार अभिव्यक्ति की लड़ाई लड़ रहे हैं. अच्छी बात यह है कि ऐसे पत्रकार अकेले नहीं हैं बल्कि इन्हें देश के आम लोगों का साथ हासिल है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो