अमेरिकी हमले (American Attack) में ईरान (Iran) के मेजर जनरल कासिम सुलेमानी (Major General Qassim Soleimani) की मौत के बाद अब ईरान ने अमेरिका से बदला लेने की धमकी दी है. ईरान के शहर कोम की एक ऐतिहासिक मस्जिद (HIstorical Mosque) पर रविवार को लाल झंडा (Red Flag) फहराया गया, जिसके बाद माना जा रहा है कि ईरान ने अपनी ओर से युद्ध का ऐलान कर दिया है. लाल झंडा बदले और खूनी जंग का संकेत होता है. हालांकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald Trump) ने ईरान को धमकी दी है कि ईरान की तरफ से हमला किए जाने की स्थिति में अमेरिका (America) करारा जवाब देगा.
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डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि अमेरिका के पास मौजूद आधुनिक हथियारों को ईरान झेल नहीं पाएगा. ईरान ने लाल झंडा जामकरन मस्जिद पर फहराया, जो कोम शहर में अपना स्थान रखती है. ईरान के सरकारी टेलीविजन ने इस झंडारोहण का प्रसारण भी किया.
ट्रंप ने यह भी कहा है कि अमेरिका ने ईरान के 52 ठिकानों को निशाना बनाने की तैयारी कर रखी है. दरअसल 1979 में अमेरिकी दूतावास से ईरान ने 52 अमेरिकियों को बंदी बना लिया था. इनको छुड़ाने में अमेरिका को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। 52 की उसी संख्या का जिक्र करते हुए ट्रंप ने इस हमले की बात की.
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सवाल उठता है कि ईरान में लाल झंडा क्यों लहराया गया? लाल झंडा अन्याय के खिलाफ आवाज का प्रतीक है. बताया जा रहा है कि करबला में इमाम हुसैन की हत्या के बाद ऐसा ही झंडा फहराया गया था. यह इस बात का संकेत था कि इमाम हुसैन की हत्या का बदला लिया जाएगा.
सोशल मीडिया पर ईरान के लोगों की लाल झंडे को लेकर तमाम प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. सोशल मीडिया यूजर्स का मानना है कि यह फैसले और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है. अभी ईरान की सड़कों पर लोग अमेरिका के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर बदले की कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
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उधर, ईरान से तनाव के बीच अमेरिका ने मध्य-पूर्व इलाके में 3000 अतिरिक्त सैनिकों को भेजने का फैसला किया है. मध्य पूर्व में अमेरिका के पहले से ही 14 हजार सैनिक तैनात थे. दूसरी ओर, अभी ईरान की सेना में लगभग 5 लाख 20 हजार सक्रिय सैनिक और ढाई लाख अन्य सैनिक हैं. जनरल कासिम सुलेमानी के शव को रविवार को बगदाद से तेहरान लाया गया. सुलेमानी की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए.
Source : News Nation Bureau