भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में कुलभूषण जाधव के मामले में अपनी अंतिम बहस के दौरान मांग की कि पाकिस्तान सैन्य अदालत के फैसले को निरस्त करे और सिविल अदालत में निष्पक्ष ट्रायल का निर्देश दे. 48 वर्षीय कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा 'हास्यास्पद मुकदमे' में सुनाई गई सजा के खिलाफ मई 2017 में आईसीजे गया था जिसको लेकर आईसीजे में 4 दिवसीय सार्वजनिक सुनवाई हो रही है. भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के आरोपों में अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी.
विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव और भारतीय प्रतिनिधि दीपक मित्तल ने कोर्ट से कहा कि जाधव को दूतावास से संपर्क को मंजूरी दी जाय. साल 2016 में बलोचिस्तान में जासूसी के आरोप में जाधव को गिरफ्तार किया था.
जिरह के तीसरे दिन भारत ने अपने दूसरे दौर की सुनवाई के दौरान पूर्व सालीसिटर जनरल हरीश साल्वे ने पाकिस्तान के वकील की ओर से अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने पर कड़ी आपत्ति जताई है और संयुक्त राष्ट्र की अदालत से लक्ष्मण रेखा खींचने की गुजारिश की.
हरीश साल्वे ने आईसीजे में भारत के मामले को रखते हुए, सुनवाई के दूसरे दिन पाकिस्तानी वकील ख्वाजा कुरैशी द्वारा अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने पर अदालत का ध्यान दिलाया.
जाधव मामले में बुधवार को सुनवाई शुरू होने पर साल्वे ने कहा, 'जिस तरह की भाषा इस अदालत में गूंजी है, यह अदालत कुछ लक्ष्मण रेखाओं का निर्धारण कर सकती है. उनके भाषण की भाषा में बेशर्म, बकवास, लज्जाजनक जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. भारत अंतरराष्ट्रीय अदालत में इस तरह से संबोधित किए जाने पर आपत्ति जताता है.'
बहस के दौरान उन्होंने एक बार फिर कहा पाकिस्तान इसे प्रचार के औचार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है. उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान ने जाधव को यातना देकर झूठे अपराध कबूल करने पर मजबूर किया. पाकिस्तान द्वारा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की कार्यवाही डिरेल करने की 3 दफा नाकाम कोशिश की गई.'
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साल्वे ने पाकिस्तान की दलीलों पर जवाब देते हुए कहा कि जाधव का बायोडाटा साफ तौर पर बताता है कि वह एक पूर्व भारतीय नौसेना का अधिकारी था. उन्होंने कहा, 'यह उसके भारतीय नागरिकता होने का सबूत है. पाकिस्तान की तरह, भारतीय नागरिक उस तरह का नहीं है जिनकी राष्ट्रीयता को नकारने की जरूरत है.'
इससे पहले दूसरे दिन की जिरह में पाकिस्तान ने आईसीजे में भारत पर आरोप लगाया और कहा था कि कुलभूषण जाधव उसकी धरती पर आतंकी और विध्वंसक गतिविधि में संलिप्त था, जो कि 'भारतीय नीति की वास्तविक अभिव्यक्ति है।'
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पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान ने कहा था, '1947 से ही भारत, पाकिस्तान को बर्बाद करने की नीति चला रहा है। पिछले कुछ वर्षों में यह कई रूपों और अभिव्यक्तियों के जरिए परिलक्षित हुई है.'
इससे एक दिन पहले भारत के वकील हरीश साल्वे ने पाकिस्तान पर निशाना साधा था और कहा था कि जाधव के मुकदमे में कोई सही प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, इसलिए उसे तत्काल रिहा किया जाना चाहिए. साल्वे ने पहले दिन अपनी तीन घंटे की प्रस्तुति के दौरान कहा था कि जासूसी के लिए जाधव को हिरासत में रखना 'गैर-कानूनी' है.
उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान ने 1963 की वियना संधि व अन्य प्रोटोकोल का गंभीरता से उल्लंघन किया है। भारत ने पाकिस्तान पर 13 बार स्मरण कराए जाने के बावजूद उनको राजनयिक संपर्क नहीं देने का आरोप लगाया.
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अध्यक्ष अब्दुलकावी अहमद यूसुफ की अध्यक्षता वाली अदालत के समक्ष दलील देते हुए भारत के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि बैगर दूतावास की पहुंच के जाधव की लगातार हिरासत को अवैध घोषित किया जाए और अदालत द्वारा उनकी रिहाई का आदेश दिया जाए।
उन्होंने कहा, 'अन्य बातों पर विचार करने के साथ-साथ इस बात पर गौर किया जाए कि उनको तीन साल तक मानसिक आघात दिया गया है। न्याय के हक में और मानवाधिकार को हकीकत बनाते हुए अदालत को उनकी रिहाई का आदेश देना चाहिए।'
Source : News Nation Bureau