नेपाल की राजधानी में सरेशाम गोली मारकर जिस शख्स की हत्या कर दी गई वो जाली भारतीय नोटों का कारोबारी था। नेपाल में दाउद के खास गुर्गे यूनुस अंसारी के गैंग में रह कर लाल मोहम्मद उर्फ मोहम्मद दर्जी जाली भारतीय नोट की खेप पाकिस्तान से लाकर नेपाल के रास्ते भारत में भेजा करता था। जाली नोट के कारोबार के दौरान ही कमीशन के पैसे को लेकर आपस में ही तनातनी हो गई। इसी जाली नोट के धंधे में शामिल नेपाल के बारा जिले के बलराम पटुवा की काठमांडू में ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक 4 जुलाई 2007 को काठमांडू के अनामनगर में जाली नोट कारोबारी पटुवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने इस हत्या के आरोप में लाल मोहम्मद को सहित नेपाल में डी कंपनी के शार्प शूटर मुन्ना खान उर्फ इल्ताफ हुसैन अंसारी को गिरफ्तार किया था। अदालत ने दोनों को ही दस साल कैद की सजा सुनाई थी।
लाल मोहम्मद के परिवार वालों का कहना है कि 7 जुलाई 2017 को वो जेल से रिहा होकर आया था। काठमांडू के ही गोठाटार में उसने गारमेंट का कारोबार शुरू किया था। आपराधिक पृष्ठभूमि के होने के कारण गैंगवार में उसकी हत्या होने की आशंका पुलिस को है। जाली नोट के कारोबार के समय लाल मोहम्मद को मोहम्मद दर्जी, लाल अन्सारी, लाल थापाजी सहित कई नाम से जाना जाता था। लाल मोहम्मद की हत्या से नेपाल में एक बार फिर जाली नोट कारोबारियों के बीच गैंगवार शुरू होने और आपसी रंजिश के कारण एक दूसरे की जान लेने की पुरानी घटना ताजा हो गई है।
दाउद और छोटा राजन दोनों को डबल क्रॉस करने वाले मिर्जा दिलशाद बेग हो या जमीम शाह, अब्दुल माजिद मनिहार हो या फैजान अहमद, खुर्शीद आलम हो या लाल मोहम्मद इन सबकी संलग्ना जाली नोट के कारोबार से ही था। ये सब किसी ना किसी रूप से यूनुस अंसारी से जुडे हुए थे जो कि नेपाल में दाउद का कारोबार संभालता था। जाली नोट और ड्रग्स का कारोबार में यूनुस अभी भी काठमांडू के सेंट्रल जेल में बंद है। यूनुस पर जेल में ही जानलेवा हमला हुआ था लेकिन वो बच गया। पर जेल से ही उसके कारोबार को जारी रखने की खबर पुलिस को मिलती रहती है। आज के शूटआउट की जांच कर रही क्राईम ब्रांच के अधिकारियों का भी मानना है कि यह हत्या आपसी रंजिश के कारण भी हो सकता है।
Source : Punit Pushkar