विदेशी कंपनियां उठा रही हैं गलाकाट घरेलू रक्षा स्पर्धा का फायदा

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले साल 31 अगस्त को राफेल विमान सौदे में 'वैश्विक भ्रष्टाचार' के बारे में ट्वीट किया था

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Sushil Kumar
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विदेशी कंपनियां उठा रही हैं गलाकाट घरेलू रक्षा स्पर्धा का फायदा

राफेल विमान (फाइल फोटो)

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले साल 31 अगस्त को राफेल विमान सौदे में 'वैश्विक भ्रष्टाचार' के बारे में ट्वीट किया था. इससे महज एक सप्ताह पहले जर्मनी के हैम्बर्ग में तुर्की मूल के पूर्व जर्मन राजनेता और वर्तमान में एयरबस इंडस्ट्री के बिक्री निदेशक (लड़ाकू विमान अभियान) महमत तुर्केर से उनकी मुलाकात हुई थी. भारत हथियार डीलरों के समूह के जरिए काम करने वाली दुनिया की विमान विनिर्माता कंपनियों के लिए जंग का मैदान बन गया है. ये डीलर सौदे करने के लिए हर तरकीब का इस्तेमाल करते हैं. इनमें से कुछ में सरकार भी शामिल होती है. रक्षा प्रतिष्ठान का यह कहना है कि भारत में बड़ा खेल खेला जा रहा है.

विवादित हथियार डीलर संजय भंडारी के डिफेंस कॉलोनी स्थित आवास में 2016 में छापा पड़ा था और कथित तौर पर मीडियम मल्टी रोल कांबैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) सौदे से जुड़े दस्तावेज उसके पास से बरामद किए गए. दिल्ली पुलिस ने ऑफीशियस सीक्रेट एक्ट के तहत उसके खिलाफ मामला दर्ज किया था. उसके खिलाफ इंटरपोल का भी अलर्ट था. केंद्रीय गृहमंत्रालय के पास उसके खिलाफ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान 126 राफेल जेट की खरीद के सौदे से जुड़े कागजात की चोरी करने की रिपोर्ट मौजूद है.भंडारी हालांकि सही मायने में अवांछित व्यक्ति नहीं है. तुर्केर की भंडारी से कई मुलाकातें हो चुकी हैं. भंडारी 2016 में हुई छापेमारी के बाद देश छोड़कर भाग गया. उनके पास नरेंद्र मोदी विरोधी गठबंधन तक पहुंच बनाने का विशेषाधिकार है क्योंकि वे फ्रांस में बने लड़ाकू हथियार से पूरी तरह लैस जेट विमानों की खरीद को लेकर सरकार पर निशाना साधने के लिए कांग्रेस के लिए जानकारी मुहैया करवाते हैं. भारत के बड़े विमान सौदे में भंडारी एकमात्र विवादित हथियार डीलर नहीं है जिस पर उंगली उठी है.

सुधीर चौधरी भारत के सबसे बड़े हाथियार एजेंट और लॉबिस्ट के रूप में शीर्ष स्तर है. वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के घेरे में है और उम्मीद के अनुरूप वह देश से पलायन कर गया है. ग्रिमी पनामा पेपर्स मामले में उसका नाम सबसे बड़े खातधारकों में शुमार है.भंडारी और चौधरी दोनों सरकार द्वारा प्रतिरक्षा के क्षेत्र में शुरू किए गए ऑफसेट कार्यक्रम के लाभार्थी रहे हैं. भंडारी को रिकॉर्ड 918 अरब डॉलर का अनुबंध मिला था. वह प्रियंका वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा का कारोबारी सहयोगी था. चौधरी से संबद्ध बेंगलुरू की कंपनी अल्फा डिजाइन को संप्रग के शासनकाल में 1,000 करोड़ रुपये का ऑफसेट कांट्रैक्ट दिया गया था. रक्षा सौदे में कुछ और गहरे राजनीतिक लिंक जुड़े हुए हैं, क्योंकि ऐसे सौदों में काफी पैसों की बात होती है.पंजाब के पूर्व कांग्रेस विधायक अरविंद खन्ना का पुत्र और हथियार एजेंट विपिन खन्ना संप्रग सरकार के दौरान एंब्रेयर के साथ तीन विमानों की खरीद के सौदे के ऑफसेट कांट्रैक्ट में भारी रिश्वत लेने वालों में शामिल है. अरविंद खन्ना खुद अब हथियार एजेंट हैं.

चंडीगढ़ स्थित राजनेता संतोष बगरोडिया के भाई की सॉफ्टवेयर कंपनी आईडीएस इन्फोटेक ने 2007 में अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में बड़ी रिश्वत ली थी. बगरोडिया के भाई सतीश की कंपनी को 1,400 करोड़ रुपये का ऑफसेट कांट्रैक्ट मिला थाइस बड़े खेल में दुनियाभर में रक्षा सौदों के एजेंट, उनके संचालनकर्ता-हथियार विनिर्माता और विमान डीलरों ने सावधानीपूर्वक उन राजनेताओं की पहचान की है जिनके बारे में उनको लगता है कि वे उनके साझेदार बन सकते हैं.विशेषाधिकार प्राप्त यूरोपीय संघ की खुफिया जानकारी में खुलासा हुआ है कि अमेरिका और चीन का मानना है कि अपने नेतृत्व में कांग्रेस को चुनावी लाभ दिलाने के लिए उग्र बने हुए राहुल गांधी उनकी भारत योजना के लिए महत्वपूर्ण हैं.

मोदी सरकार में महत्वपूर्ण मंत्रालय पाने का सपना पालने वाले अरुण शौरी शायद नोटबंदी, जीडीपी के आंकड़े राफेल सौदे समेत अन्य मुद्दों को उठाकर सरकार के पीछे पड़े हुए हैं. लेकिन कहानी कहीं बड़ी हो सकती है क्योंकि उनके साले रक्षा मामलों के लेखक हैं और वह लगातार 36 राफेल विमान की खरीद के विरोध में तर्क देते रहे हैं. उनके एक भतीजे टाटा कंपनी के लिए काम करते हैं और 2012 से टाटा डिफेंस की अगुवाई कर रहे हैं. रतन टाटा लॉकहीड मार्टिन के भारतीय साझेदार हैं. अमेरिकियों ने कहा है कि अगर भारत पेंटागन के विदेशी सैन्य बिक्री कार्यक्रम के तहत लॉकहीड मार्टिन के एफ-16 जेट विमान खरीदेगा तो वे सीएटीएसए प्रतिबंध हटा लेंगे.

Source : IANS

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