लेबनान के प्रधानमंत्री साद हरीरी सऊदी अरब में दो सप्ताह बिताने के बाद शनिवार को पेरिस पहुंचे और यहां फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों से मुलाकात की।
ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही थी कि उन्हें उनकी इच्छा के विरुद्ध सऊदी अरब में रखा गया था।
मेक्रौं ने हरीरी और उनके परिजनों का एलिसी पैलेस में स्वागत किया। यह बैठक राष्ट्रपति और उनके लेबनानी समकक्ष मिशेल औन से टेलीफोन पर बातचीत के बाद हुई।
लेबनान के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि औन ने 'लेबनान के पक्ष में फ्रांस की कार्रवाई' के लिए शुक्रिया कहा और पुष्टि की कि हरीरी लेबनान के स्वतंत्रता दिवस 22 नवंबर को बेरूत में होंगे।
हरीरी ने चार नवंबर को रियाद दौरे के दौरान अप्रत्याशित ढंग से इस्तीफे का ऐलान किया था, लेकिन लेबनान के अधिकारियों ने कहा था कि उनका इस्तीफा तबतक स्वीकार नहीं किया जाएगा, जबतक वह खुद यहां इस्तीफा नहीं देंगे।
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उन्होंने ईरान पर क्षेत्र में कलह, तबाही और विनाश का आरोप लगाया था और कहा था कि उन्हें डर है कि उनके विरुद्ध हत्या की साजिश रची गई है।
बीबीसी की के मुताबिक, औन ने उनका इस्तीफा लेने से इंकार कर दिया था और सऊदी अरब पर उनकी इच्छा के विरुद्ध उन्हें वहां रखने का आरोप लगाया था।
सऊदी अरब के साथ हरीरी ने भी इस आरोप का खंडन किया था, लेकिन सार्वजनिक रूप से इसकी जानकारी नहीं दी थी कि वह कितने दिन सऊदी अरब में रहेंगे।
मेक्रौं से मुलाकात के बाद यह उम्मीद है कि वह कई अरब देशों की यात्रा करेंगे।
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इसबीच सऊदी अरब ने बर्लिन से अपने राजदूत वापस बुला लिए हैं। जर्मनी के विदेश मंत्री ने आरोप लगाया था कि हरीरी को उनकी इच्छा के विरुद्ध सऊदी अरब में रखा गया है।
राष्ट्रपति मैक्रों ने बुधवार को कहा था कि उन्होंने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से टेलीफोन पर बातचीत करने के बाद हरीरी और उनके परिवार को पेरिस आने के लिए आमंत्रित किया है।
हालांकि, बाद में मैक्रों ने स्पष्ट किया कि वह हरीरी को राजनीतिक शरण मुहैया नहीं करा रहे हैं, बल्कि वह चाहते हैं कि हरीरी कुछ दिनों के लिए पेरिस में रहें।
लेबनान के अधिकारियों ने पहले कहा था कि हरीरी को सऊदी अरब में बंधक बना कर रखा गया है, जिसे बाद में रियाद ने झूठा आरोप बताया था।
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Source : IANS