श्रीलंका (Srilanka) के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) ने ऐतिहासिक बौद्ध मंदिर में रविवार को देश के नये प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली. श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (SLPP) के 74 वर्षीय नेता को नौंवी संसद के लिए पद की शपथ उनके छोटे भाई एवं राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने केलानिया में पवित्र राजमाहा विहाराय में दिलाई. महिंदा नीत एसएलपीपी ने पांच अगस्त के आम चुनाव में जबर्दस्त जीत हासिल करते हुए संसद में दो तिहाई बहुमत हासिल किया. इस बहुमत के आधार पर वह संविधान में संशोधन कर पाएगी जो सत्ता पर शक्तिशाली राजपक्षे परिवार की पकड़ को और मजबूत बनाएगा.
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सोमवार को नया मंत्रिपरिषद लेगा शपथ
‘डेली मिरर’ समाचारपत्र के मुताबिक, नया मंत्रिमंडल सोमवार को शपथ ग्रहण करेगा, इसके बाद राज्य एवं उप मंत्री शपथ ग्रहण करेंगे. नव निर्वाचित सरकार ने मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या 26 तक सीमित रखने का निर्णय किया है, हालांकि 19 वें संविधान संशोधन के प्रावधानों के तहत इसे बढ़ा कर 30 किया जा सकता है. राजपक्षे परिवार का श्रीलंका की राजनीति पर दो दशक से वर्चस्व है. इसमें एसएलपीपी संस्थापक एवं इसके राष्ट्रीय संयोजक बासिल राजपक्षे, जो राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के छोटे भाई और महिंदा से बड़े हैं, भी शामिल हैं.
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पहले भी एक दशक तक रहे राष्ट्रपति
महिंदा 2005 से 2015 के बीच करीब एक दशक तक राष्ट्रपति रह चुके हैं. परिवार के उत्तराधिकारी और महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल राजपक्षे को भी पांच अगस्त को हुए आम चुनाव में हम्बनटोटा से जीत मिली है. राष्ट्रपति गोटाबाया ने एसएलपीपी के टिकट पर नवंबर का राष्ट्रपति चुनाव जीता था. जब उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी तब ही महिंदा की चौथी बार देश का प्रधानमंत्री बनने का मौका मिलने की उम्मीद बढ़ गई थी. संसदीय चुनाव में उन्हें 150 सीटों की जरूरत थी जो संवैधानिक बदलावों के लिये जरूरी है. इनमें संविधान का 19वां संशोधन भी शामिल है जिसने संसद की भूमिका मजबूत करते हुए राष्ट्रपति की शक्तियों पर नियंत्रण लगा रखा है.
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एतिहासिक वोट मिले
गौरतलब है कि महिंदा को 5,000,00 से अधिक व्यक्तिगत वरीयता के मत मिले. चुनावी इतिहास में पहली बार किसी प्रत्याशी को इतने मत मिले हैं. एसएलपीपी ने 145 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत दर्ज करते हुए अपने सहयोगियों के साथ कुल 150 सीटें अपने नाम की जो 225 सदस्यीय सदन में दो तिहाई बहुमत के बराबर है. 68 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया और मतदान प्रतिशत 59.9 रहा था.