पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से ही पूरे देश से हिंसा और आजगनी की खबरें सामने आने लगी. स्थिति इतनी बेकाबू हो गई कि सरकार को पूरे देश में ही धारा 144 लागू करनी पड़ी. गौरतलब है कि मंगलवार 9 मई को इस्लामाबाद कोर्ट परिसर से इमरान खान को गिरफ्तार कर लिया गया था. इमरान की गिरफ्तारी पाकिस्तान की N.A.B ने की, बता दें कि एनएबी का मतलब है नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो, ये एक इंडिपेंडेंट बॉडी है जो करप्शन और आर्थिक आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान सरकार के लिए महत्वपूर्ण एनैलिसिस तैयार करने का काम करती है.
बता दें कि पाकिस्तान में इस वक्त नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) की सरकार है, जिसे बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी का भी समर्थन हासिल है. ऐसे में जैसे ही इमरान की गिरफ्तारी की खबर फैली, पीटीआई समर्थक सड़कों पर उतरकर हिंसा और आगज़नी करने लगे. लाहौर में पीटीआई समर्थकों ने पीएमएल (एन) के दफ़्तर को आग के हवाले कर दिया. यहां बड़ी संख्या में पीटीआई कार्यकर्ताओं ने कोर कमांडर के लाहौर आवास पर धावा बोल दिया और गेट व खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए. प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान सेना के खिलाफ भी नारेबाजी की. हिंसा की ऐसी तस्वीरें पाकिस्तान के हर बड़े शहर से आई, फिर चाहे वो पेशावर, रावलपिंडी, कराची या फिर खैबर पख्तूनवा हो. वहीं, लंदन में भी पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर के बाहर इमरान समर्थकों ने बड़ी संख्या में जमा होकर इमरान की गिरफ़्तारी पर विरोध-प्रदर्शन किया.
इस बीच ये भी खबर आ रही है कि हिंसा की आग में जल रहे पाकिस्तान में जल्द ही मार्शल लॉ लग सकता है. आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये मार्शल लॉ क्या है? हम आपको बता दें कि ये वो कानून है जिसमें किन्ही विशेष परिस्थितियों में देश की न्याय व्यवस्था को सेना अपने हाथ में ले लेती है. साधारण भाषा में समझे तो मतलब सीधा है, कि पाकिस्तान में सेना का शासन लग सकता है. वैसे तो इस देश की विदेश और सुरक्षा नीति पर हमेशा से ही पाकिस्तान की सेना का कंट्रोल रहा है. वहीं देश की अर्थव्यवस्था पर भी सेना का खासा प्रभाव रहता है. लेकिन फिर भी जम्हूरियत की ढपली पीटने वाले वहां के राजनेता, विश्व पटल पर खुद को एक सैन्य शासक देश पेश करने से हमेशा बचते आए हैं....लेकिन सच्चाई सभी को पता है...
पाकिस्तान का इतिहास है कि वहां सेना और उसके राजनीतिक मोहरों के बीच सत्ता की लिए आंख-मिचौली का खेल हमेशा से ही चलता रहा है. यही वजह रही है कि जब भी सेना को कोई सरकार पसंद नहीं आती वो उसे हटाकर सत्ता अपने हाथ में ले लेती है. इसी टकराव की वजह है कि पाकिस्तान में तीन बार सैन्य तख्तापलट हो चुका है. और इस मुल्क को दशकों तलक सैन्य शासकों के एकछत्र राज में रहना पड़ा है.
अब आपको बताते हैं कि आखिर मार्शल लॉ लागू होने पर एक देश में क्या बदलाव होते हैं? मार्शल लॉ लागू होने पर उस देश की पुलिस और लॉ एंड ऑर्डर का कंट्रोल पूरी तरह से सेना के हाथों में आ जाता है. ऐसा भी होता है कि मार्शल लॉ पूरे देश में लागू हो या फिर ये देश के किसी हिस्से में भी हो लागू हो सकता है. इस कानून के लागू होते ही नागरिकों के अधिकार सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. इसके अलावा मुख्यतौर पर राजनीतिक दलों की सभाओं को रोक दिया जाता है. और बड़े स्तर पर नेताओं की गिरफ्तारी की भी आशंका रहती हैं. इसके अलावा सिविल लॉ पर रोक लग जाती है. कोर्ट बंद हो जाते हैं. नागरिकों के अधिकार छिन जाते हैं. इसके साथ ही मार्शल लॉ में सेना कभी भी किसी को जेल में डाल सकती है. सेना की कोर्ट में जज किसी को भी नोटिस देकर बुला सकता है. जो लोग इसका विरोध करते हैं उन्हें आर्मी कोर्ट में पेश किया जाता है, उन पर केस भी चलाया जाता है.
अब सवाल है कि कब लागू किया जा सकता है मार्शल लॉ?
दरअसल ये इस बात पर निर्भर करता है कि देश में किस हद तक इमरजेंसी की स्थिति है और सरकार उसे निपट पाने में कितनी असफल साबित हो रही है? मतलब सिचुएशन देखते हुए मार्शल लॉ लागू किया जाता है. इसके अलावा भी कई स्थितियों में मार्शल लॉ लागू किया जाता है, जैसे- युद्ध के हालात में या फिर किसी युद्ध में जीते गए क्षेत्र में, देश में राज कर रही सरकार के तख्तापलट होने पर या बड़े स्तर पर किसी प्राकृतिक आपदा आने के बाद. ये कुछ ऐसे हालात हैं जिनमें सेना ही उस देश को कंट्रोल करती है.
पाक में कितनी बार लग चुका है मार्शल लॉ?
अब बात करें अगर पाकिस्तान में कितनी बार मार्शल लॉ लगा है, तो... पाकिस्तान में तख्तापलट का एक लंबा इतिहास रहा है. इसकी शुरुआत नए देश बनने के 11 साल बाद ही हो गई थी.
राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्ज़ा ने 1958 में पहला मार्शल लॉ लगाया. ये उस समय हो रही राजनीतिक उथल-पुथल और अशांति के जवाब में उठाया गया कदम था. पाकिस्तान में ये मार्शल लॉ दो साल तक चला और 1960 में हटा लिया गया. पाकिस्तान में दूसरी बार मार्शल लॉ साल 1969 में लगा था. इसकी एक खास वजह थी. दरअसल साल 1962 में पाकिस्तान की सरकार ने एक नए संविधान को लागू किया गया था. लेकिन 1969 में राष्ट्रपति बनने के बाद अयूब खान ने इस संविधान को रद्द कर दिया और वहां फिर से मार्शल लॉ घोषित कर दिया. इसके बाद फिर 5 जुलाई साल 1977 को पाकिस्तान में मार्शल लॉ जनरल मुहम्मद जिया-उल-हक द्वारा लगाया गया था. जिया उल हक ने प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो और उनकी पार्टी के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार कर नेशनल एसेंबली को भंग कर खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया था. इसके बाद 12 अक्टूबर, 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार भंग कर दी गई थी, तब भी सेना ने एक बार फिर नियंत्रण संभाला. उस वक्त पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को गद्दी से हटाकर कामन अपने हाथ में ले ली थी. बाद में उन्होंने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया था.
अब एक बार फिर पाकिस्तान मार्शल लॉ की चौखट पर खड़ा है. क्योंकि पहले से ही गरीबी और भुखमरी का मार झेल रहे पाकिस्तान में जनता दाने-दाने को मोहताज है. ऐसे में अगर राजनीतिक हिंसा के चलते सरकारी संपत्ति को और नुकसान पहुंचाया गया और इसकी चपेट में आम जनता भी आ गई तो इस मुल्क को बर्बाद होने से नहीं बचाया जा सकता. यही वजह है कि यहां सेना कमान अपने हाथ में लेने के लिए तैयार बैठी है.
नोट: मनोज शर्मा की रिपोर्ट
Source : News Nation Bureau