वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित वित्तीय अपराध जांचकर्ता केनेथ रिजॉक की इन्वेस्टिगेशन के अनुसार भारत (India) के वांछित भगोड़े हीरा व्यवसायी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) ने एंटीगुआ के कई अधिकारियों को रिश्वत (Bribe) देकर अपने लिए सुरक्षा खरीदी थी. रिजॉक ने एंटीगुआ (Antigua) में मेहुल चोकसी की रिश्वतखोरी और साजिश के खिलाफ ब्लॉग में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. इसके तहत मेहुल से रिश्वत लेने वाले अधिकारियों ने उसे भारत प्रत्यर्पित करने के लिए हिरासत में लेने आए इंटरपोल (Interpol) के रास्ते में अड़चने पैदा कीं. केनेथ रिजॉक के मुताबिक मेहुल चोकसी एंटीगुआ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एडोनिस हेनरी समेत कई सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देकर एंटीगुआ में अदालती प्रक्रिया को अवैध रूप से टालने की योजना बनाई. रिजॉक ने अपने वित्तीय अपराध ब्लॉग में कई गवाहों के आधार पर लिखा है कि चोकसी और इंस्पेक्टर हेनरी दिन में कम से कम तीन बार अल पोर्टो में मिलते रहे हैं. अल पोर्टो एक जॉली हार्बर रेस्त्रां है, जिस पर कथित तौर पर चोकसी का स्वामित्व है.
एंटीगुआ पुलिस के कुछ अधिकारी और मजिस्ट्रेट रिश्वत लेकर बने मेहुल के मददगार
बताते हैं कि भगोड़ा हीरा व्यवसायी मेहुल चोकसी न केवल एडोनिस हेनरी तक पहुंचा, बल्कि अवैध भुगतान के जरिए एंटीगुआ के मजिस्ट्रेट कोनलिफ क्लार्क को भी प्रभावित करने की कोशिश की. रिजॉक ने अपने ब्लॉग पोस्ट में लिखा है कि चोकसी ने क्लार्क को भ्रष्ट तरीके से प्रभावित किया ताकि उसके लंबित प्रत्यर्पण को अनिश्चित काल के लिए टाला जा सके. रिजॉक के मुताबिक उनके सूत्रों ने पुष्टि की है कि क्लार्क और हेनरी ने चोकसी को इस रिश्वतखोरी के एवज में हिरासत में लेने के इंटरपोल के प्रयासों में हस्तक्षेप करने की साजिश रची थी. रिजॉक के इस लेख में विभिन्न तथ्यों के आधार पर बताया गया कि कैसे हीरा व्यापारी एंटीगुआ से क्यूबा भागने में विफल रहा. इसके बाद उसने अपने कथित अपहरण का नाटक किया. चोकसी प्रत्यर्पण से बचने के लिए एंटीगुआ से क्यूबा भागना चाहता था, क्योंकि क्यूबा और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं है. जांचकर्ता के अनुसार भारतीय भगोड़े को मई 2021 में डोमिनिका के तट पर फेंक दिया गया, जब वह जहाज के तस्करों के चालक दल को भुगतान करने में विफल रहा.
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2018 में भारत छोड़ भाग निकला था चोकसी
हालांकि एंटीगुआ की एक अदालत ने चोकसी को उसके मूल देश भारत को प्रत्यर्पित करने का आदेश दे दिया है, जहां उसने कथित तौर पर लाखों डॉलर के बराबर की चोरी की है. फिर भी एंटीगुआ में भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों, न्यायाधीशों और कानून प्रवर्तन एजेंटों ने पर्याप्त रिश्वत लेने के बाद मेहुल के प्रत्यर्पण की कार्यवाही में देरी हुई. भारत के प्रमुख बैंकों संग धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का आरोपी एक अरबपति हीरा व्यवसायी मेहुल चोकसी एंटीगुआ में निवेश द्वारा नागरिकता पासपोर्ट हासिल करने के बाद कई वर्षों तक भारतीय न्याय व्यवस्था के चंगुल में आने से बचता रहा है. बावजूद इसके कि मेहुल की गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल ने एक रेड नोटिस जारी किया था. गौरतलब है कि पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के बाद 2018 में भारत छोड़ भाग निकलने वाले मेहुल चोकसी के खिलाफ इंटरपोल ने रेड नोटिस जारी किया था.
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पीएनबी से मेहुल को जारी हुए फर्जी एलओयू
रेड नोटिस किसी व्यक्ति के लंबित प्रत्यर्पण के लिए जारी किया जाता है. इसकी मदद से उसका पता लगा फिर उसकी अस्थायी गिरफ्तारी की जाती है. रेड नोटिस इंटरपोल के सदस्य देश या अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के अनुरोध पर वैध राष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट के आधार पर सामान्य सचिवालय जारी करता है. हालांकि यह एक अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट नहीं होता है. पीएनबी ने आरोप लगाया है कि उसके दो कर्मचारियों ने धोखाधड़ी से एलओयू जारी किए और भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं को स्विफ्ट निर्देश प्रेषित किए. यह काम बैंक प्रणाली में प्रविष्टियां किए बगैर हीरा व्यापारी की फर्म के लिए खरीदार का क्रेडिट बढ़ाने के लिए किया गया था. बैंक का आरोप है कि जनवरी 2018 को फर्जी तरीके से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी किया गया था, जिसके बाद मेहुल चोकसी के पूरे घोटाले का पता चला.
HIGHLIGHTS
- वित्तीय अपराध जांचकर्ता केनेथ रिजॉक के ब्लॉग में खुलासा
- भगोड़े हीरा कारोबारी चोकसी ने रिश्वत देकर टाली कार्रवाई
- क्यूबा न भाग पाने के बाद रची खुद के अपहरण की साजिश