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Microsoft Journey Explained: दो स्कूली दोस्तों ने IT सेक्टर में मचाई धूम! ऐसे पड़ी माइक्रोसॉफ्ट की नींव

Microsoft Journey Explained: 1979 में कंपनी वाशिंगटन शिफ्ट हुई. फिर कंपनी ने अपना एमएसडीओएस ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया. फिर आईबीएम के पहले कंप्यूटर का लाइसेंस लिया.

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Mohit Sharma
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Microsoft ( Photo Credit : File Pic)

Microsoft Journey Explained: दुनियाभर में माइक्रोसॉफ्ट का सर्वर डाउन होने से बड़ी बड़ी कंपनियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ये 2016 तक दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी रही, जिसकी शुरुआत दो दोस्तों ने मिलकर की थी. इन दोनों का नाम है बिल गेट्स और पॉल एलन. दोनों स्कूल में दोस्त हुआ करते थे और दोस्ती ने ऐसा कमाल दिखाया कि माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की सबसे बड़ी आईटी कंपनी बन गई. चलिए आपको बताते हैं माइक्रो सॉफ्ट की कहानी. आपको बता दें की भारत समेत अलग अलग देशों में कंपनियां काफी दिक्कतों का सामना कर रही हैं. एक तरफ जहाँ इस वजह से दुनिया के सबसे बड़े स्टॉक एक्स्चेंज में से एक लंडन स्टॉक एक्स्चेंज का सर्वर भी ठप पड़ चुका है, वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर हैशटैग माइक्रोसॉफ्ट ट्रेंड कर रहा है. दोनों पहले ट्रैप और डेटा नामक कंपनी बना चुके थे.

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इसमें उन्होंने ऐसा कंप्यूटर बनाया जो ऑटोमोबाइल ट्रैफिक डेटा को ट्रैक करता था. लेकिन फिर बिल गेट्स हार्वर्ड यूनिवर्सिटी चले गए. साल 1975 में बिल गेट्स को एलटीआर 8800 माइक्रो कंप्यूटर के बारे में पता चला. इसके लिए बिल गेट्स ने बेसिक इंटरप्रेटर बनाया. वो अपने दोस्त पॉल एलेन के साथ खुद से बनाए गए इंटरप्रेटर को लेकर माइक्रो इन्स्ट्रुमेंटेशन एंड टेलीमेन्टरी सिस्टम्स यानी एमआईटीएस गए, जहाँ उन दोनों के प्रोग्रामर को मंजूरी मिली. बिल गेट्स ने हार्वर्ड कॉलेज से लंबी छुट्टी ली और अपने दोस्त एलएन के पास चले गए. इसके बाद 4 अप्रैल 1975 को दोनों दोस्तों एमआईटीएस से अलग हो गए और अपनी खुद की कंपनी बनाई. इसका नाम उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट रखा. माइक्रोसॉफ्ट ने 80 के दशक में सॉफ्टवेयर बिज़नेस में कदम रखा. इसके बाद बिल और एलन को पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी. माइक्रोसॉफ्ट धीरे धीरे मार्केट में अपनी जगह बनाने लगा. 3 साल के अंदर अंदर ही यानी 1978 के आखिर तक माइक्रोसॉफ्ट की सेल्स $10,00,000 के पार चली गई थी.

1979 में कंपनी वाशिंगटन शिफ्ट हुई. फिर कंपनी ने अपना एमएसडीओएस ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया. फिर आईबीएम के पहले कंप्यूटर का लाइसेंस लिया. 1981 में ये कंप्यूटर लॉन्च कर दिया. 1983 में बिल गेट्स के दोस्त एलन ने हॉट किंग्स डायग्नोज़ बिमारी की वजह से माइक्रोसॉफ्ट छोड़ दिया. फिर 1985 में माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज नाम का ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया. इस ग्राफिकली इंटरफेस में ड्रॉप डाउन मेन्यु और बाकी फीचर्स भी थे. 1987 में माइक्रोसॉफ्ट ने शेयर मार्केट में भी एंट्री कर ली और इस तरह 31 साल के बिल गेट्स ने दुनिया के सबसे युवा अरबपति का रिकॉर्ड बनाया. 2016 तक माइक्रोसॉफ्ट दुनिया का सबसे बड़ा सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी थी. 2020 में रेवइन्यू के मामले में माइक्रोसॉफ्ट फॉर्चून 500 रैंकिंग में इक्कीसवें स्थान पर थी. आपको बता दें कि अब कंपनी के संस्थापक बिल गेट्स की हिस्सेदारी कंपनी में करीब 2.79 फीसदी है. वहीं मई 2024 तक नडेला के पास माइक्रोसॉफ्ट के 8,01,331 शेयर थे. 

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Source : News Nation Bureau

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