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पाकिस्तान में लाखों युवा धार्मिक कट्टरवाद से प्रभावित, ना'पाक' पर ओबामा की मुहर

ओबामा ने अफगानिस्तान, यमन और इराक जैसे देशों के साथ पाकिस्तान को रख दिया, जहां लाखों युवा धार्मिक कट्टरवाद से 'त्रस्त' हैं.

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Nihar Saxena
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Pakistan Radical Islamists Youth

युवाओं पर बढ़ रहा है जिहादी कट्टर इस्लाम.( Photo Credit : न्यूज नेशन.)

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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने नवीनतम संस्मरण 'ए प्रॉमिस लैंड' में पाकिस्तान पर एक भी सकारात्मक नजरिया नहीं रखा है. इसके बजाय, ओबामा ने अफगानिस्तान, यमन और इराक जैसे देशों के साथ पाकिस्तान को रख दिया, जहां लाखों युवा धार्मिक कट्टरवाद से 'त्रस्त' हैं. पेंगुइन रैंडम हाउस के एक डिविजन द्वारा प्रकाशित, 'ए प्रॉमिस्ड लैंड' दो नियोजित संस्करणों का पहला हिस्सा है. पुस्तक में अपने प्रेसीडेंसी के कुछ प्रमुख फैसलों के बारे में याद दिलाते हुए ओबामा ने विस्तार से वर्णन किया कि उन्होंने क्या महसूस किया क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान जैसे सुरक्षित ठिकानों से आतंकवादियोंको बाहर निकालने के आदेश दिए थे.

यमन और अफगानिस्तान, पाकिस्तान और इराक जैसी जगहों के बारे में ओबामा ने लिखा, 'लाखों नौजवानों का जीवन हताशा, अज्ञानता, धार्मिक गौरव के सपने, अपने आसपास की हिंसा, या बुजुर्ग पुरुषों की व्यवस्था पद्धति, योजनाओ से त्रस्त है.' यह तर्क देते हुए कि ये नौजवान खतरनाक और अक्सर जानबूझकर और संयोग से क्रूर हैं, ओबामा ने अपनी पुस्तक में सहानुभूतिपूर्वक लिखा है कि वह अभी भी चाहते हैं कि किसी तरह उन्हें बचाएं-उन्हें स्कूल भेजें, उन्हें एक व्यापार दें, उन्हें नफरत से निकाल दें. ओबामा ने अपने पूर्ववर्तियों को आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करने के लिए पाकिस्तान के व्यवहार की आलोचना की है. उन्होंने लिखा कि अमेरिकी सरकार ने लंबे समय से एक ऐसे कथित सहयोगी से इस तरह के व्यवहार को सहन किया, जिसे उसने हिंसक चरमपंथियों के साथ अपनी जटिलता के बावजूद सैन्य और आर्थिक सहायता में अरबों डॉलर का समर्थन किया था.

अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने कैसे, अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तानी क्षेत्र एबटाबाद के अंदर घुसकर मारा, इस बारे में विस्तृत जिक्र किया है. ओबामा ने लिखा कि लादेन को समुद्र में इसलिए दफन कवाया गया क्योंकि ऐसा नहीं करने पर उसका कब्र जिहादियों के लिए किसी प्रमुख धार्मिक स्थल की तरह हो जाता. उन्होंने खुलासा किया है कि उनके प्रशासन ने पाकिस्तानी प्रतिष्ठान को विश्वास में नहीं लिया क्योंकि यह एक खुला रहस्य था कि देश की सेना के अंदर कुछ तत्व, और विशेष रूप से इसकी खुफिया सेवाओं ने तालिबान और शायद अल-कायदा संग भी लिंक को बनाए रखा, कभी-कभी उनका उपयोग रणनीतिक संपत्ति के रूप में यह सुनिश्चित करने के लिए किया कि अफगान सरकार कमजोर रहे और खुद को पाकिस्तान के नंबर एक प्रतिद्वंद्वी भारत के साथ अलाइन करने में असमर्थ रहा.

ओबामा ने लिखा, 'तथ्य यह है कि एबटाबाद कंपाउंड पाकिस्तान सेना के वेस्ट पॉइंट के बराबर से कुछ ही मील की दूरी पर था और इस संभावना को और अधिक बढ़ा दिया कि हम जो कुछ भी पाकिस्तानियों को बताते वह हमारे लक्ष्य को समाप्त कर सकता था. आतंकवाद और धार्मिक कट्टरवाद के संदर्भ में पाकिस्तान के सभी संदर्भों के साथ, ओबामा ने हालांकि पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को श्रेय दिया, जिन्होंने उन्हें अपने लादेन मिशन की सफलता के लिए बधाई दी थी.

Source : News Nation Bureau

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