तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा मुल्ला मोहम्मद याकूब सरकार बनने के बाद पहली बार दुनिया के सामने आया है. मोहम्मद याकूब तालिबान सरकार में रक्षामंत्री है. इसके साथ ही वह अफगानिस्तान के मिलिट्री कमाशन का अध्यक्ष भी है. मोहम्मद याकूब का कश्मीरी आतंकियों से गहरे संबंध हैं. वह कश्मीर में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा और जैश आतंकी संगठनों से जुड़ा है. दुनिया के सामने मुल्ला याकूब ने अपने पहले सार्वजनिक भाषण में देश के बिजनस समुदाय से अपील की कि वे स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश करें. मुल्ला याकूब ने कहा कि हेल्थ सेक्टर में अगर निवेश बढ़ता है तो अफगान जनता को विदेश नहीं जाना होगा.
मुल्ला याकूब को तालिबान के अंदर बहुत इज्जत के साथ देखा जाता है लेकिन उसकी आईएसआई के पालतू संगठन हक्कानी नेटवर्क के नेताओं से नहीं पटती है.मुल्ला याकूब के नेतृत्व वाला कंधारी गुट पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से कोई हस्तक्षेप नहीं चाहता है.वहीं आईएसआई हक्कानी नेटवर्क के जरिए अफगानिस्तान को पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र के रूप में बनाए रखना चाहता है.
चूंकि ये दोनों ही पाकिस्तान के करीबी हैं, इसलिए आईएसआई चीफ के हस्तक्षेप के बाद एक समझौता हुआ जिसके तहत याकूब को अफगानिस्तान का रक्षा मंत्री बनाया गया है.याकूब तालिबान के सैन्य अभियानों का चीफ है.याकूब के ही इशारे पर तालिबान के आतंकी और पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर तथा जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी अफगान सेना पर हमले करते थे.उत्तराधिकार के विभिन्न संघर्षों के दौरान उसे तालिबान का समग्र नेता घोषित किया गया था.लेकिन उसने 2016 में हिबतुल्लाह अखुंदजादा को आगे करके तालिबान का सरगना घोषित कर दिया.
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माना जाता है कि याकूब अपने संगठन में तनाव को कम करना चाहता था क्योंकि उसके पास युद्ध के अनुभव की कमी थी और वह उम्र में भी कई नेताओं से बहुत छोटा था.यही नहीं मुल्ला याकूब ने अपने पिता मुल्ला उमर की मौत के बाद उसकी जगह लेना चाहता था लेकिन ऐसा होने नहीं दिया गया था.यह वही मुल्ला उमर है जिसने भारत के एयर इंडिया विमान IC-814 के अपहरण की साजिश रची थी.अफगानिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के पाकिस्तानी आतंकियों ने मुल्ला याकूब के इशारे पर ही अफगान सेना के खिलाफ भीषण हमले किए थे.सुरक्षा एजेंसियों का अनुमान है कि 7 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी आतंकी तालिबान की मदद करने के लिए अफगानिस्तान पहुंचे थे.
तालिबान ने कई इलाकों में लश्कर और जैश के आतंकवादियों को युद्ध के दौरान सलाहकार, कमांडर और प्रशासक बनाया था.यही नहीं पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में लड़ने के लिए पाकिस्तान ने बड़े पैमाने पर आतंकियों की भर्ती भी की थी.मुल्ला याकूब लश्कर और जैश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अफगान सेना पर हमले कर रहा था.तालिबान के लड़ाकुओं को लश्कर के पाकिस्तान के हैदराबाद शहर में स्थित ट्रेनिंग कैंप में प्रशिक्षण दिया गया था.इनके साथ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारी भी अफगानिस्तान में तैनात किए गए थे.
HIGHLIGHTS
- मुल्ला याकूब को तालिबान के अंदर बहुत इज्जत के साथ देखा जाता है
- याकूब की आईएसआई के पालतू संगठन हक्कानी नेटवर्क के नेताओं से नहीं पटती है
- मुल्ला याकूब लश्कर और जैश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अफगान सेना पर हमले कर रहा था