म्यांमार ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिसमें म्यांमार सरकार द्वारा मुस्लिम रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के खिलाफ सैन्य अभियान में नरसंहार के साक्ष्य होने की बात कही गई है। म्यांमार के समाचारपत्र ग्लोबल न्यू लाइट ने सरकार के प्रवक्ता जॉ हते के बयान के हवाले से कहा, 'हमने म्यांमार में एफएफएम (फैक्ट फाइंडिंग मिशन) को प्रवेश की इजाजत नहीं दी, इसलिए हम मानवाधिकार परिषद के किसी भी प्रस्ताव पर सहमत नहीं हैं और इसे स्वीकार नहीं करते।'
संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा था कि मानवता के खिलाफ जानबूझकर नरसंहार व अपराध किए जाने के साक्ष्य हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की की सरकार के हिंसा रोक पाने में नाकाम रहने की निंदा की और सशस्त्र बलों से जुड़े कथित अपराधियों की जांच करने और उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय अदालत की स्थापना की सिफारिश की।
हते ने कहा कि सरकार ने संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय समुदायों द्वारा लगाए जा रहे झूठे आरोपों का जवाब देने के लिए पहले से ही एक स्वतंत्र आयोग का गठन किया है।
और पढ़ें : पाकिस्तान के मंत्री ने कहा, कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए इमरान सरकार तैयार कर रही है प्रस्ताव
म्यांमार, रोहिंग्या को राष्ट्र के एक जातीय समूह के रूप में मान्यता नहीं देता है, बल्कि उन्हें अवैध बांग्लादेशी प्रवासी मानता है और उनके साथ कई तरह के भेदभाव करता है।
Source : IANS