आर्मीनिया-अजरबैजान के बीच नागोर्नो-काराबाख को लेकर साल 2020 में युद्ध हुआ. रूस की मौजूदगी में युद्धविराम हुआ, जिसमें अजरबैजान और आर्मीनिया की लड़ाई में अजरबैजान भारी पड़ा था. बहुत सारे इलाके अजरबैजान ने फिर से अपने कब्जे में ले लिये थे. लेकिन जो इलाके आर्मीनिया के पास रह गए थे, उन पर फिर से अजरबैजान ने हमला बोल दिया है और एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है. ऐसा रुस की यूक्रेन में व्यस्तता के बीच अजरबैजान ने किया है. इस लड़ाई में दोनों ही तरफ से कम से कम 3 लोगों की मौत हुई है. अजरबैजान ने बताया है कि उसकी सैन्य तैनाती वाली जगह पर आर्मीनिया ने हमला किया, जबकि आर्मीनियाई विद्रोहियों ने कहा है कि अजेरी सैनिकों ने हमला कर उनके दो साथियों की हत्या कर दी है.
अजरबैजान ने कई महत्वपूर्ण ठिकानों पर जमाया कब्जा
इस बीच खबरें आ रही हैं कि अजर बैजान ने आर्मीनियाई कब्जे वाली कई पहाड़ियों पर कब्जे जमा लिये हैं. अजेरी सेना ने आर्मीनियाई कब्जे वाली कई महत्वपूर्ण ठिकानों पर कब्जा जमा लिया है. इस दौरान आर्मीनिया की तरफ से लड़ रहे करीब 20 सैनिकों के घायल होने और दो की मौत की खबरें आ रही हैं. अलजजीरा, डेली सबाह जैसे मीडिया आउटलेट्स ने इन खबरों की पुष्टि की है. यूरोपीय यूनियन ने ताजी लड़ाई पर चिंता जाहिर की है, जबकि रूस ने अजरबैजान की निंदा की है.
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रूस ने अजरबैजान पर लगाए सीजफायर तोड़ने के आरोप
रूस साल 2020 में हुई लड़ाई को रुकवाने में सफल रहा था. उसकी कोशिशों से ही संघर्ष विराम हुआ था. लेकिन अब रूस ने ही आरोप लगाया है कि उसकी अस्थिरता का फायदा उठाकर अजरबैजान ने संघर्षविराम तोड़ा है और आर्मीनियाई इलाकों पर हमले कर उन पर कब्जा जमा लिया है.
सोवियत संघ के विघटन के तुरंत बाद शुरू हुई थी कब्जे की लड़ाई
गौरतलब है कि सोवियत संघ के बिखराव के बाद नागोर्नो-काराबाख को आधिकारिक तौर पर अजरबैजान का हिस्सा माना गया था. लेकिन इन जगहों पर अधिकतर आर्मीनियाई मूल के लोग ही रहते हैं. ऐसे में नागोर्नो काराबाख एक स्वायत्त क्षेत्र की तरह काम कर रहा था. वहां के लोग खुद को आर्मीनियाई ही बोलते रहे थे. दोनों ही देशों में इस इलाके को लेकर कई बार झड़पें हो चुकी हैं, जबकि साल 2020 में दोनों ही देशों के बीच पूरी जंग भी हुई. इस जंग में हजारों लोग हताहत हुए, तो लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा था. जिसके बाद रूस ने हस्तक्षेप करके युद्ध को रोक दिया था. ये जंग 1990 के दशक में ही शुरु हो गई थी और पहली जंग तीन साल चली थी. तब से अंतर्राष्ट्रीय नियमों के मुताबिक, नागोर्नो काराबाख का इलाका अजरबैजान की सीमा में आता है, लेकिन ये स्वशाषित है और आर्मीनियाई लोगों की यहां संख्या अधिक है.
HIGHLIGHTS
- नागोर्नो-काराबाख को लेकर फिर छिड़ी लड़ाई
- अजरबैजान ने आर्मीनियाई कब्जे वाली जमीन छीनी
- रूसी हस्तक्षेप के बाद हुए युद्धविराम को तोड़ा